window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); उत्तराखंड में एंगलिंग का शौक भी पूरा कर सकेंगे पर्यटक-महाराज | T-Bharat
November 16, 2024

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उत्तराखंड में एंगलिंग का शौक भी पूरा कर सकेंगे पर्यटक-महाराज


देहरादून: साहसिक खेलों के शौकीन पर्यटक अब उत्तराखण्ड आकर एंगलिंग कर सकेंगे। उक्त बात प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कही। पर्यटन को बढ़ावा देने और आजीविका के लिए वन संसाधनों पर स्थानीय लोगों के पारंपरिक अधिकारों को बहाल करने के वास्ते उत्तराखंड वन विभाग ने प्रदेश के रिजर्व वन क्षेत्रों में कुछ शर्तों के साथ एंगलिंग (हुक के साथ मछली पकड़ना) की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आइये और साहसिक खेलों के साथ यहां की सुन्दरता का आनंद लिजिए।
उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने वाली एक और गतिविधि जुड़ गई है। जिससे प्रदेश में आने वाले पर्यटक अब एंगलिंग भी कर पायंेगे। राज्य के संरक्षित क्षेत्रों के बाहर नदियों और जलाशयों के उपयुक्त क्षेत्रों में एंगलिंग करने के लिए परमिट दिए जाने का निर्णय लिया गया है। जहां पर्यटक अगले वर्ष 31 मार्च तक एंगलिंग का शौक पूरा कर सकेंगे।
पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा कि सरकार ने इस आशय का एक आदेश जारी किया है। इसके तहत पर्यटन की यह गतिविधि केवल एंगलिंग तक सीमित है। मछली के शिकार की अनुमति नहीं है। इसका अर्थ यह है कि पर्यटकों को एंगलिंग का शौक पूरा करने के बाद पकड़ी गई मछली को तुरंत पानी में छोड़ना होगा। नियमों के अनुसार पर्यटकों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि मछली को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। यह गतिविधि सूर्योदय व सूर्यास्त के दौरान ही की जा सकेगी। प्रदेश के जिन इलाकों में यह गतिविधि उपलब्ध होगी उनमें शारदा नयार, टोन्स डोडीताल, अस्सी गंगा, गंगा नदियां और व्यास घाट, कोसी व कोठड़ी नदियां शामिल हैं।
जानकारी देते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि एंगलिंग से संबंधित सभी परमिट देने या रद्द करने का अधिकार प्रभागीय वन अधिकारी के पास होगा। हर तय जलाशय पर केवल एक ही पर्यटक एंगलिंग के लिए जा सकेगा और साथ में उसके सहायक व गाइड आदि होंगे, इनके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को अनुमति नहीं होगी। एंगलिंग के दिशा निर्देशकों के तहत पर्यटकों को सुनिश्चित करना होगा कि पूर्ण शांति बनाए रखें, ज्यादा हिलें डुलें नहीं, उपयुक्त वस्त्र पहने रहें, पर्याप्त कवर लेकर रहें और पर्यावरण को क्षति न पहुंचाएं। मछली पकड़ के उसे एक साफ गीले बोरे में संभाला जाए और तुरंत पानी में छोड़ दिया जाए।
परमिट धारक को वन और वन्य जीवन नियम-कानूनों का पूरा ध्यान रखना होगा और अगर वह उनमें कोई विसंगति पाता है तो उसे उसकी सूचना देनी होगी। केवल रॉड (बंसी/बल्सी) द्वारा ही मछली पकड़ी जा सकती है।

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