हरिद्वार,(Amit Kumar ): आज देश के 72वें गणतंत्रा दिवस के अवसर पर पतंजलि योगपीठ में परम पूज्य स्वामी जी महाराज एवं श्रद्धेय आचार्यश्री ने ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज हमें संकल्प लेना चाहिए कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग अनिवार्य हो। इस दिशा में कानूनी प्रबंधन जब बनेंगे, तब बनेंगे मगर हमें योग से ही शुरुआत करनी होगी, अपने जीवन में योग का अनिवार्य करना होगा।
इस अवसर पर स्वामी जी महाराज ने कहा कि हमने शपथ ली है कि ड्रग माफियाओं की लूट और षड़यंत्र से इस देश का हमें बचाना है और योग, आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा को स्वदेशी का विकल्प देकर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। हमें अपनी 1 अरब, 96 करोड़, 8 लाख, 53 हजार 120 वर्ष पुरानी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को पूरे विश्व में पुनः स्थापित करना होगा। इसी क्रम में स्वामी जी महाराज ने योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को एविडेन्स बेस्ड मेडिसन का दर्जा मिल पाए इसके लिए हम क्लीनिकल ट्रायल के रूप में बहुत बड़ा अनुसंधन श्रद्धेय आचार्यश्री, डाॅ. अनुराग वार्ष्णेय जी व सभी कार्यरत् सांईटिस्ट की टीम के द्वारा बहुत बड़ा पुरुषार्थ किया जा रहा है। इस पुरुषार्थ का ही परिणाम है हमने 100 से ज्यादा नई दवाईयाँ पतंजलि ने बनाई हैं, जिसमें बी.पी., शुगर, थाईराइड, कोलोस्ट्राॅल से लेकर विटामिन-बी और ई, विटामिन- बी-12, मैग्नीशियम, ओमेगा इत्यादि सभी तरह के मल्टी विटामिन का विकल्प भी पहली बार नेचुरल और 100 प्रतिशत आर्गेनिग रूप से पतंजलि परिवार ने तैयार किया है।
उद्बोधन का क्रम को जारी रखते हुए स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज स्वास्थ्य क्रांति के साथ-साथ 2021 में पतंजलि का बहुत बड़ा संकल्प है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी क्रांति के बाद अब शिक्षा के क्षेत्र में नवीन क्रांति का समय है। इसके लिए भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन हो चुका है। 1835 में मैकाले ने जो इण्डियन एजूकेशन एक्ट बना कर भारतीय शिक्षा व्यवस्था को जो ध्वस्त किया था उसे हमें पुनः प्रतिष्ठापित करना होगा। हमने सनातन और नूतन का संगम करके नई शिक्षा नीति तैयार की है जिसमें संस्कृत भाषा अनिवार्य होगी। भविष्य में भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से हजारों, लाखों विद्यालयों को सम्पूर्ण भारतवर्ष से जोड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि हम विद्यार्थीयों के मन में संस्कार डालने का कार्य करेंगे जिससे उनके मन में देशभक्ति का संचार जागृत हो सके और वह पूरे विश्व में नए कीर्तिमान बना सकें। जिससे भारत परम वैभवशाली बन सकें। उन्होंने कहा कि जो सपना चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज ने देखा था उसे आज 72वें गणतंत्र दिवस पर प्रतीज्ञा के रूप में लेते हैं। परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने पत्राकारों के एक सवाल के जवाब में किसानों के विषय में बोलते हुए कहा कि आज किसानों और सरकार के बीच में जो गतिरोध् बना हुआ है, हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं वो जल्दी ही समाप्त हो। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि किसानों का हित करने के लिए पतंजलि योगपीठ जो अपनी तरफ से जो भी पुरुषार्थ कर सकेगा, उसे किया जायेगा।
आत्मनिर्भर भारत पर एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि आज हम दालों, खाद्यानों, चीनी उत्पादन आदि क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हैं मगर अभी हमें अन्य दिशाओं में भी आत्मनिर्भर होना होगा। इसी दिशा में पतंजलि परिवार कार्य कर रहा है जिसके फलस्वरूप 5 लाख किसानों को हम जोड़ रहे हैं। देश में पाम ऑयल के रूप में जो लूट हो रही है, उसे हमें बचाना है। इसके लिए पतंजलि योगपीठ एक बड़ा उद्यम लगा रहा है जिससे 2 से 2.50 लाख करोड़ रुपये की भारतीय पूंजी का बचाया जा सके।
कार्यक्रम में श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने छात्र-छात्राओं, आगन्तुकों तथा उपस्थित महानुभावों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज का दिन हम सबके लिए गौरव का दिन है, उत्साह, ऊर्जा और उमंग से भरने का दिन है। यह उत्साह उमंग हमारे राष्ट्र-निर्माण के लिए व आत्म कल्याण के लिए है जिसका प्रयोग करते हुए हम इस देश के लिए सहयोगी बनेंगे, उपयोगी बनेंगे, उपकारी बनेंगे, इस संकल्प के साथ आज हम संकल्प लें। जब हम वीर, शहीदों की बात करते हैं तो हम याद रखें कि उन्होंने इस देश के लिए कितना तप किया होगा, उन वीर शहीद क्रांतिकारी महापुरुषों ने देश को आजाद कराने के लिए प्रतिकूलता में कितना संघर्ष किया होगा। हम उनके ऋणि हैं जिन्होंने हमें खुली हवा में श्वास लेने का अवसर प्रदान किया। पतंजलि राष्ट्रदेव की उपासना का मंदिर है, उनको याद करते हुए हम प्रतिज्ञा लें कि हम जहाँ जिस रूप में भी सेवा प्रदान कर रहे हैं वहाँ पूरी निष्ठा, श्रद्धा, भावना, मर्यादा व व्यवस्था के साथ हम अपने दायित्वों का निर्वहन करें। विद्यार्थी भी पूरी निष्ठा व लगन के साथ उच्च शिक्षा में दक्ष हों। यहाँ से जो भी होगा वह राष्ट्र सृजन के लिए होगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना कालखण्ड के कारण पिछला गणतंत्र दिवस बहुत करुणिकतापूर्ण रहा, चुनौतियों से परिपूर्ण रहा। कोरोना ने चारों तरफ हाहाकार मचा दिया। दुनिया मानो ठहर सी गई थी, सहम सी गई और रुक सी गई। पतंजलि ने अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी का बखुबी निर्वहन किया। कोरोनाकाल में जब बाजार में सामान उपलब्ध् नहीं थे और मल्टीनेशनल कम्पनियों ने हथियार डाल दिए, तब हमारे कर्मयोगी भाई-बहनों ने कमान संभाली। रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं के निर्माण से लेकर घर-घर पहुँचाने तक का कार्य पतंजलि ने बखुबी किया। ये पतंजलि की क्षमता है। कोरोनाकाल में पतंजलि ने लगभग 27.5 करोड़ की सेवाराशि प्रधानमंत्री राहत कोष में प्रदान की। देश में हमारी आलोचना करने वाले कई लोगों की आँखों पर पर्दा पड़ा है, जो जल्द हटेगा। पूज्य स्वामी जी महाराज ने वो किया जो किसी विदेशी कम्पनी ने नहीं किया। उन्होंने आपको सुबह 4 बजे उठाकर योग कराया और सुस्वास्थ्य प्रदान किया। सोने वाले दुनिया को नहीं जगा सकते, जगने वाले ही दुनिया को जगा सकते हैं।
मैं सत्यमेव जयते के उद्घोष के साथ कहना चाहता हूँ कि कोरोनाकाल में जब पूरी दुनिया के साथ आयुष मंत्रालय सोया पड़ा था कि कोरोना के लिए हम आयुर्वेद में क्या सकते हैं, तब पतंजलि ने सर्वप्रथम तुलसी, अश्वगंधा व गिलोय के गुणों पर अनुसंधान कर बताया था कि अश्वगंध में कोरोना को परास्त करने के दिव्य गुण हैं। लोगों ने उपहास करने का प्रयास किया, कोरोनिल को निषेद्य करने का प्रयास किया। उसके बाद भी हम लगे रहे और पूरी दुनिया को योग और आयुर्वेद को मानना पड़ा। और यह भी मानना पड़ा कि योग और आयुर्वेद का उद्गम पतंजलि यागपीठ ही है।
इससे पूर्व पतंजलि योगपीठ परिसर में परम पूज्य स्वामी जी महाराज तथा श्रद्धेय आचार्य जी महाराज ने मुस्लिम भाईयों के साथ गुब्बारों का एक गुच्छ आकाश में उड़ाकर गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ सभी देशवासियों को दी। आचार्यकुलम् व गुरुकुलम् के छात्रा-छात्राओं ने परेड़ निकालकर एवं संास्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय, आयुर्वेद काॅलेज, आचार्यकुलम्, वैदिक गुरुकुलम्, वैदिक कन्या गुरुकुलम् के छात्रा-छात्राएँ, पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध इकाईयों के इकाई प्रमुख, अधिकारीगण व प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।
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