window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); प्रबल इच्छाशक्ति और जिजीविषा का अद्भुत समन्वय -पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज | T-Bharat
November 17, 2024

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प्रबल इच्छाशक्ति और जिजीविषा का अद्भुत समन्वय -पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

ऋषिकेश,(Amit kumar) ’मैं मौत से नहीं डरता, लेकिन मुझे मरने की कोई जल्दी नहीं है, मुझे अभी बहुत कुछ करना है।’ यह कथन स्टीफन हॉकिंग की प्रबल जिजीविषा का अद्भुत प्रमाण है। उन्होंने दिखा दिया कि प्रबल इच्छाशक्ति रहे तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक और कॉस्मोलॉजिस्ट स्टीफन हॉकिंग के जन्मदिवस के अवसर युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि जीवन में अनेक विपरीत परिस्थितियों तथा बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुये स्टीफन हॉकिंग ने दुनिया को ऐसे ब्रह्मांडीय रहस्यों से अवगत कराया जिसके विषय में बहुत कम जानकारी उपलब्ध थी। हॉकिंग ने दिखा दिया कि जन्म और मृत्यु के बीच का जो समय है उसका सकारात्मकता के साथ किस प्रकार उपयोग किया जाता है। जब उनका शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर रहा था, उनके शरीर के सेल्स डैमेज हो रहे थे तब भी उन्होंने निराश हुये बिना दुनिया को ब्रह्मांडीय रहस्यों, जलवायु परिवर्तन, क्वांटम और गुरुत्वाकर्षण आदि कई विषयों के बारे में ज्ञान कराया। 22 वर्ष की उम्र में वे मोटर न्यूरॉन डिजीज़ से पीड़ित हो गये थे उसके पश्चात लगभग 55 वर्षो तक की उनकी जीवन यात्रा में उन्होंने अनेक चुनौतियों का सामना किया परन्तु कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन एवं कार्यों से प्रबल इच्छाशक्ति व हौसले का संदेश देते हुये एक मिसाल कायम की।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि स्टीफन हॉकिंग न केवल एक वैज्ञानिक थे बल्कि वे एक मानवतावादी भी थे, उन्होंने धरती पर बढ़ती आबादी के विषय में जागरूक किया साथ ही उन्होंने कहा कि जैविक युद्ध के जरिये सबका विनाश हो सकता है इससे मानव जाति भी समूल रूप से समाप्त हो सकती है इसलिये वैश्विक स्तर पर इसका उपयोग बंद किया जाना चाहिये। स्टीफन हॉकिंग ने ‘समय का संक्षिप्त इतिहास’ किताब लिखकर आधुनिक विज्ञान के गूढ़ रहस्यों से दुनिया को अवगत कराया।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि यह अद्भुत जिजीविषा का ही कमाल है कि जब स्टीफन हॉकिंग के शरीर के अंगों ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया, वे बोल नहीं पाते थे, चल नहीं पाते थे उसे बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दुनिया को विज्ञान के कई गूढ़ रहस्यों का ज्ञान कराया।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि स्टीफन हॉकिंग जीवन भर जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित रहे, उनका मानना था कि जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इससे अनेक प्रजातियां विलुप्त हो गयी हैं इसलिये इस ओर वैश्विक स्तर पर सभी को मिलकर कार्य करना होगा नही तो पृथ्वी को शुक्र की तरह गर्म ग्रह में परिवर्तित होते देर नहीं लगेगी।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि स्टीफन हॉकिंग का जीवन आज के युवाओं को बहुत कुछ कहता है और बहुत सारी शिक्षायें देता है। उन्होंने दिखा दिया कि जीवन में धैर्य, संयम, प्रबल इच्छाशक्ति, सकारात्मक सोच, लगन और अपने कार्यो के प्रति प्रतिबद्धता से सब कुछ हासिल किया जा सकता हैं। युवाओं के लिये यही सार है कि ग्लोबल वार्मिग, पिघलते ग्लेशियर, धरती पर बढ़ती आबादी और परमाणु हथियारों के प्रति सचेत रहे ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित वातावरण मिल सकें।
आईये हम सभी अपने रहन-सहन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन करें ताकि ग्रीन हाउस गैसों का उत्पादन कम हो जिससे हमारी पृथ्वी ओर उस पर रहने वाले सभी प्राणी सुरक्षित रह सके यही इस महान वैज्ञानिक को हम सभी की ओर से श्रद्धांजलि हो सकती है।

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