वाराणसी : प्रदेश का पहला इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह चिरईगांव ब्लाक के जाल्हूपुर गांव में बनकर लगभग तैयार है। मशीनें स्थापित हो चुकी हैं। सिर्फ शवदाह गृह तक पहुंचने का रास्ता निर्माण व फिनिशिंग कार्य शेष हैं। जिला पंचायत की ओर से इस कार्य को 20 मार्च तक हरहाल में पूर्ण कराने का निर्देश दिया गया है।
पीएम की लोकार्पण सूची में हो सकता है शामिल
उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम के लोकार्पण की सूची में इसे स्थान मिल सकता है। पीएम का काशी आगमन 23 से 25 मार्च के बीच संभावित है। पशु शवदाह गृह के शुरू होने के बाद मृत पशुओं के निस्तारण की समस्या का अंत होगा। वर्तमान में बेसहारा मृत पशुओं को दूरदराज क्षेत्र या नदी नाले में लोग प्राय: फेंक देते हैं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
निर्माण पर दो करोड़ 24 लाख खर्च
पशु शवदाह गृह का निर्माण कार्यदायी एजेंसी सिकान पाल्लूटेक सिस्टमस प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ की ओर से किया जा रहा है। पशु शवदाह गृह 0.1180 हेक्टेयर भूमि पर तैयार हुआ है। कुल दो करोड़ 24 लाख खर्च होने की बात है। एजेंसी से जुड़े लोगों का कहना है कि कार्य लगभग 95 फीसद से अधिक पूर्ण हो चुका है। रंगाई पोताई आदि कार्य ही अवशेष है।
प्रदूषण मुक्त होगा संयत्र
पशु शवदाह गृह के संयत्र बिजली व गैस से संचालित होंगे। प्रदूषण रहित होंगे। बिजली न होने पर लगभग 75 केवीए का जनरेटर का भी इस्तेमाल होगा।
दस पशु प्रतिदिन हो सकेंगे डिस्पोजल
इलेक्ट्रिक संयत्र की क्षमता प्रतिघंटा 400 किलो डिस्पोजल की है। इस संयत्र में एक दिन में दस पशु डिस्पोजल हो सकेंगे। चिमनी भी लगी है। डिस्पोजल की राख खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किए जाने की बात है। एक पशु का वजन लगभग ढाई सौ से 400 किलो तक होता है।
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