देहरादून: उत्तराखंड में लगता है जब से भाजपा की सरकार प्रदेश की सारी समस्याएं खत्म हो गई। जिस तरह भाजपा चुनाव में किए गए वायदों को छोड़ दूसरे प्रदेशों के मुद्दे उठाने लग गई है उससे तो यही समझा जा सकता है। रविवार को एकाएक प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर जिस तरह भाजपा ने हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से तत्काल इस्तीफे की मांग की है उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा को जनता ने जो प्रचंड बहुमत दिया है वह हिमाचल के लिए दिया या उत्तराखंड के लिए। सवाल यह है कि उत्तराखंड में क्या कोई समस्या नहीं रह गई। भाजपा ने जो जनता से जुड़े जो मुद्दे सरकार बनने से पहले उठाए थे क्या उनकी सरकार बनने के बाद वह मुद्दे पूरे हो गए हैं। इन सारी सारी बातों को लेकर भाजपा निशाने पर है।
बताते चलें कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है और वहां के सीएम वीरभद्र सिंह पर आय से अधिक संपत्ति मामले की सीबीआई जांच चल रही है। सीबीआई द्वारा दायर एफआईआर के खिलाफ वीरभद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसको लेकर उत्तराखंड भाजपा ने मुद्दा बना दिया और रविवार को एकाएक प्रेस कान्फेंस बुला दी। पत्रकार वार्ता में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीरभद्र की अपील खारिज करने पर कहा कि सीएम वीरभद्र को नैतिकता के आधार पर पद छोड़ देना चाहिए। हालांकि भट्ट इस सवाल पर चुप्पी साध गये कि उत्तराखंड की तमाम समस्याओं को छोड़कर हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया के इस्तीफे की मांग के लिए प्रेसवार्ता का औचित्य क्या है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए अजय भट्ट ने कहा कि आज पूरे देश की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में क्रांत्रिकारी परिवर्तन हो रहा है । एक ओर देश को तेजी से विकास के पथ पर बढ़ाया जा रहा है और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े स्तर पर लड़ाई चल रही है। इसी के चलते उत्तराखंड में कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार को जनता ने बेदखल कर भाजपा को जिम्मेदारी सौंपी है ।
अब देश के अन्य राज्यों जहां कांग्रेस की सरकारें हैं, जिनमें हमारा पडोसी प्रदेश हिमांचल प्रदेश भी शामिल है से कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार को जनता सत्ता से बाहर करने जा रही है । उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भ्रष्ट व आय से अधिक संपत्ति रखने के गंभीर आरोपों से उस समय से घिरे हैं जब वे केंद्र में कैबिनेट मंत्री थे। वीरभद्र भ्रस्टाचार मामले को लेकर सीबीआई द्वारा दायर केस के खिलाफ उच्च न्यायालय दिल्ली में जो याचिका डाली थी उसे उच्च न्यायलय ने 31 मार्च को रदद कर दिया और एफआरआई को सही माना। साथ ही सीबीआई द्वारा उनके आवास पर मारे गए छापे को उचित माना ।
अजय भट्ट ने कहा कि समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वीरभद्र को कुर्सी पर बने रहना न केवल वैधानिक अपितु संवैधानिक दृष्टि से भी उचित नहीं है । भट्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई उत्तराखंड में जारी है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में जिस तरह एनएच घोटाले की जांच सीबीआई को सौपने का निर्णय गया है, विभिन्न स्तरो पर बड़े-बड़े अधिकारी निलंबित किए गए हैं, लोकायुक्त विधेयक लाया गया है, पारदर्शी स्थानांतरण नीति बनाई जा रही है।
More Stories
महंत इन्दिरेश अस्पताल में ह्दय रोगियों का बी.एम.वी. तकनीक से सफल उपचार
ब्रह्मज्ञान से विश्व में शांति संभव
मंत्री अग्रवाल ने जिला विकास प्राधिकरण के अंतर्गत किये जा रहे विकास कार्यों की समीक्षा की