window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); योग धर्म नहीं, विज्ञान है-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज | T-Bharat
November 18, 2024

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योग धर्म नहीं, विज्ञान है-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

ऋषिकेश,(Amit Kumar): सातवें इंटरनेशनल योग डे के पावन अवसर पर माँ गंगा के पावन तट व हिमालय की गोद में स्थित परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में प्रातःकाल योग के विशेष सत्र का आयोजन किया गया। योग सत्र का शुभारम्भ पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी के संदेशों के साथ हुआ।

कोरोना महामारी की क्रूरता के इस दौर में सभी को मानसिक शान्ति की जरूरत है इसलिये परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में ’विश्व शान्ति ध्यान योग’ ध्यान के विशेष सत्र का आयोजन वर्चुअली किया गया, जिसमें भारत सहित विश्व के अनेक देशों के योगियों और योग जिज्ञासुओं ने सहभाग किया। इसका प्रसारण परमार्थ वेब पेज के माध्यम से किया जा रहा है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि योग हमारे ऋषियों की सदियों की तपस्या का सुखद परिणाम है। योग हमारी विरासत है जो पूरे विश्व के लिये अमूल्य उपहार है। कोविड महामारी के दौर में स्वस्थ और तनाव से मुक्त होने के लिये योग अत्यंत कारगर सिद्ध हुआ है। योग ना केवल शारीरिक स्तर पर बल्कि मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी हमें मजबूत करता है, इसलिये आईये करें योग और रहें निरोग।
योग जीवन को अनुशासित करने की विधा है। योग जीवन के विषाद को प्रसाद बनाने में मदद करता है। योग एक जीवन शैली है जिसमें अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत समन्वय है। योग न केवल हमें योगी बनाता है बल्कि योग हमें उपयोगी, उद्योगी और सहयोगी भी बनाता है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हम योगी बन सके या न बन सके परन्तु कोरोना महामारी के इस काल में सहयोगी बने, उपयोगी बने, और उद्योगी बने यही तो कर्मयोग है। यह यात्रा योग से सहयोग की ओर। योग से हम अपनी इम्युनिटी तो बढ़ायें साथ ही हमारी हृयुमैनिटी भी जिन्दा रहे इसका भी ध्यान रहे और मिलकर अपनी कम्युनिटी के लिये भी कार्य करते रहें।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व संगीत दिवस भी है। संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो ’शोर से दूर हमें शान्ति की ओर लौटने का संदेश देता है। जिससे मानसिक व्याधि और तनाव दूर होता है तथा शांति व सद्भाव में वृद्धि होती है। सात्विक संगीत सुनने से मन को शान्ति और शक्ति मिलती हैं।

आज प्रातःकाल सोशल डिसटेंसिंग और सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुये योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी, डॉ इंदु शर्मा जी, सुश्री गंगा नंदिनी त्रिपाठी जी, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और परिवार के सदस्यों ने परमार्थ गंगा तट पर योगाभ्यास के पश्चात संकल्प लिया कि ’’हमारा हर दिन और हर पल योगमय हो तथा मानवता की सेवा हेतु समर्पित हो।’’ इस वर्ष इंटरनेशनल योग डे की थीम है योग फ़ॉर वेल बीइंग यानी कल्याण के लिए योग।
ज्ञात हो कि इंटरनेशनल योग डे के लिये भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रस्ताव पर विश्व के 175 देशों का समर्थन प्राप्त हुआ था, इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के किसी प्रस्ताव पर इतने देशों का समर्थन कभी नहीं मिला था, इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 11 दिसंबर, 2014 को हर साल 21 जून इंटरनेशनल योग डे मनाने की घोषणा की। अब धीरे-धीरे पूरा विश्व योगमय हो रहा है !

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