window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); डॉ. शर्मा जी का अकस्मात निधन पतंजलि परिवार के लिए अपूर्णीय क्षति-आचार्य बालकृष्ण | T-Bharat
November 18, 2024

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डॉ. शर्मा जी का अकस्मात निधन पतंजलि परिवार के लिए अपूर्णीय क्षति-आचार्य बालकृष्ण

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हरिद्वार,(AMit kumar) : कहा गया है कि संसार में जिसकी कीर्ति होती है, उसकी कभी मृत्यु नहीं होती। उसके सृजनात्मक कार्यों के लिए यह संसार उन्हें सदैव स्मरण करता है तथा आने वाली पीढि़याँ उनके अनुभव को आत्मसात कर उनके जीवन से प्रेरणा लेती हैं। ऐसी ही दिव्य आत्मा थे पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. डी.एन. शर्मा जी। उनके निधन पर शोकाकुल पतंजलि योगपीठ परिवार ने पतंजलि योगपीठ-। स्थित यज्ञशाला में एक शांति सभा का आयोजन किया। शांति सभा में आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने स्वर्गीय डॉ. दयानंद शर्मा जी को पुष्पांजलि, भावांजलि व श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए कहा कि व्यक्ति की महत्ता, उनके गुणों की अनुभूति उनके सम्मुख नहीं होती अपितु उनकी अनुपस्थिति में होती है। उनमें प्रशासनिक कार्यों को सहजता से करने की अद्भुत प्रतिभा थी।

डॉ. शर्मा जी का अकस्मात इस संसार से चले जाना पतंजलि योगपीठ परिवार के लिए अपूर्णीय क्षति है। वे पतंजलि योगपीठ के एक मजबूत स्तम्भ थे। डॉ. शर्मा ने अपने अग्रज, अनुज व सहकर्मियों को साथ लेकर सदैव पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के सेवा रूपी अनुष्ठान को गति प्रदान की। आचार्य जी ने कहा कि आज सबके मन में भाव हैं, संवेदना है, अश्रुधारा है, सभी का मन आक्रांत है। कोई शब्दों में कहे न कहे परन्तु सबका अंतस व्यथित है।

पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि हमारे मन में डॉ. शर्मा के परिवारजनों के प्रति संवेदना है। पतंजलि में कोई अधिकारी, कर्मचारी नहीं अपितु प्रत्येक व्यक्ति पतंजलि परिवार का अंग होता है। डॉ. शर्मा के योगदान को अपने हृदयों में संजोकर, उनके गुणों को आत्मसात कर हमें पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज को शैक्षणिक संस्थान के रूप में अग्रणी संस्थान बनाना है।इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर जी ने कहा कि आत्मीय, परम आदरणीय डॉ. दयानंद शर्मा जी का सम्पूर्ण जीवन शिक्षा तथा आयुर्वेद के लिए समर्पित रहा। वे मन, वाणी व कर्म से एक दिव्यात्मा थे। उन्होंने अपने जीवन का उत्तरार्द्ध पतंजलि योगपीठ संस्थान की सेवा में समर्पित किया। उन्होंने कहा कि सृष्टि का नियम है, जो इस संसार में जन्म लेता है उसे एक दिन जाना ही होता है। इसी प्रकार वह परमात्मा की व्यवस्था के अन्तर्गत किसी दूसरे चोले को धारण करने के लिए चले गए।

शांति सभा में डॉ. दयानंद शर्मा जी के परिवार से उनके भ्राता, पुत्र, पुत्री तथा अन्य संबंधी उपस्थित रहे। पतंजलि की ओर से डॉ. साध्वी देवप्रिया, श्री ललित मोहन, डॉ. जयदीप आर्य, भाई राकेश कुमार, स्वामी परमार्थ देव, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डॉ. अनिल कुमार, श्री पारण गौड़ा, डॉ. दयाशंकर, बहन साधना तथा पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्यों व हॉस्पिटल के समस्त चिकित्सकों सहित सम्पूर्ण पतंजलि परिवार ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी।

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