window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण और पेड़ पौधों का क्या महत्व है | T-Bharat
November 18, 2024

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हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण और पेड़ पौधों का क्या महत्व है

हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण और पेड़ पौधों का क्या महत्व है

हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण और पेड़ पौधों का क्या महत्व है

हरिद्वार,(Amit kumar): जब इंसान की सांसों पर संकट आता और वह उखड़ने लगती हैं तो उसे यह अहसास होने लगता हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण और पेड़ पौधों का क्या महत्व है? यह बात नेशनलिस्ट यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट्स के संरक्षक एवं निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने यूनियन की ओर से ‘‘कोरोना काल में प्राणवायु का संकट’’ विषय पर अयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में बोलते हुए कहीं।

यहाँ भेल उपनगरी स्थित गुरूनानक चिल्ड्रन एकेडमी में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंनेे वनों को बचाने के लिए चिपको आन्दोलन का जिक्र किया और कहा कि हमे पर्यावरण के महत्व को समझते हुये औद्योगिक क्रांति के इस युग में केवल पौधारोपण तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि पौधे के व्यस्क होने तक उसकी देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। श्री भट्ट ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में चारा पत्ती, ईधन, इमारती लकड़ी से लेकर औषधीय उपयोग की निर्भरता वनों पर ही रही है। जिस कारण अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए पेड़ों का अवैध पातन और अनियंत्रित दोहन करते हुए उनसे प्राण वायु के रूप में मिलने वाली नेचुरल आक्सीजन के कम होने की ओर ध्यान नहीं दिया।

श्री भट्ट ने कहा कि अगर हमने अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध रख कर और धरती पर आक्सीजन का स्तर अच्छा बनाकर अपनी शारीरीक क्षमताओं को बढ़ाया होता तो निश्चित रूप से इस कोरोना संकट काल में प्राणवायु का जितना बड़ा संकट उत्पन्न हुआ उसे किसी हद तक कम किया जा सकता था।

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी और वरि0 पत्रकार विक्रम सिंह सिद्धू ने कहा कि प्राचीनकाल से ही मनुष्य पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाता था इसीलिए पेड़ पौधों में देवताओं का वास मानकर उनको पूजा और संरक्षित किया जाता था। लेकिन भौतिक सुख सुविधाओं की चाह में प्राचीन मान्यताएं और परंपंराएं विकास की भेंट चढ़ गयी। इस दौर में पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह का आक्सीजन संकट सामने आया उससे इसे स्वच्छ पर्यावरण के जोड़ कर भी देखे जाने की जरूरत है।

प्रदेश संगठन मंत्री सुनील शर्मा ने मनुष्य जीवन में पेड़ पौधों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए इन्हें धरती का श्रृंगार बताया और कहा कि धरती पर जितने अधिक पेड़ पौधे होंगे उतना ही प्रदूषण कम होगा और वातावरण में आक्सीजन की मात्रा अधिक रहेगी। उन्होंने कहा कि जब तक धरती पर पेड़ पौधे हैं तभी तक यहां जीवन भी है इसीलिए धरती पर हरियाली बनाये रखने पर हमेशा जोर दिया जाना चाहिए।

भगवती प्रसाद गोयल ने मनुष्य के जीवन में पर्यावरण संतुलन के महत्व को समझाया और कहा कि विकास के साथ हमने पर्यावरण संरक्षण के मानकों की अनदेखी की है जिसके दुष्परिणाम भावी पीढ़ी को झेलेने पड़ेंगे। सूर्या सिंह राणा ने कहा कि विशेष अवसरों पर केवल पौधारोपण कर देने से ही हमारी जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती , बल्कि पौधे के बड़ा होने तक उसकी परवरीश की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए।

इस अवसर पर गुरूनानक चिल्ड्रन एकेडमी परिसर में अनेक प्रजातियों के छायादार पौधों का रोपण किया गया। साथ ही समाजिक कार्यों के सहभागिता के लिए विक्रम सिंह सिद्धू एवं सुदेश आर्या को सम्मानित किया गया।

गोष्ठी में नवीन चन्द्र पाण्डे और धीरेन्द्र सिंह रावत ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का सफल संचालन सुदेश आर्या ने किया।

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