देहरादून: प्रदेश की नई भाजपा सरकार को खुद से ज्यादा भरोसा डबल इंजन पर है। बजट में जन आकांक्षाओं को पूरा करने का दारोमदार केंद्रीय योजनाओं पर रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और संकल्प को स्थिरता से जोड़कर राज्य सरकार की ओर से खेले गए इस बड़े दांव का अंदाजा इससे लग सकता है कि केंद्र सरकार से सहायता अनुदान के रूप में 8230.61 करोड़ मिलने की उम्मीद संजोई गई है। बीते वित्तीय वर्ष 2016-17 से यह राशि डेढ़ हजार करोड़ ज्यादा है। अपने सीमित संसाधनों की पतली हालत ये है कि बड़े और छोटे निर्माण कार्यों के लिए 5288.11 करोड़ यानी कुल बजट का महज 13.23 फीसद है।
विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में डबल इंजन लगने का असर केंद्र से मिलने वाली इमदाद पर साफतौर पर दिखाई दे रहा है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने केंद्रपोषित योजनाओं और मदद पर अधिक भरोसा किया है। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए विधानसभा में पेश 39957.78 करोड़ के कुल बजट का अधिकतर हिस्सा गैर विकास मदों पर खर्च हो रहा है।
इस वर्ष राज्य कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर करीब 11044.95 करोड़, सहायताप्राप्त शिक्षण व अन्य संस्थाओं के शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर 815.09 करोड़, पेंशन एवं अन्य सेवानिवृत्तिक लाभों के रूप में 4272.28 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। इसके अलावा ऋणों के प्रतिदान पर 2640.23 करोड़ और ब्याज की अदायगी पर 4409.95 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
वेतन-भत्ते, निवेश ऋण, ब्याज, पेंशन समेत तमाम मदों पर 86 फीसद से ज्यादा खर्च हो रहा है। इस खर्च की पूर्ति करने में ही राज्य सरकार के संसाधन कम पड़ रहे हैं। नतीजा बाजार से ऋण का बोझ बढ़ने के रूप में सामने है। विकास व निर्माण कार्यों के लिए कम संसाधन ही उपलब्ध हैं। नतीजतन केंद्रपोषित योजनाओं के बूते जनता के सपनों को हकीकत में बदलने की तैयारी बजट में की गई है। पिछली सरकार ने भी केंद्रीय मदद के बूते सपने देखे थे, लेकिन इसके लिए खाका कुछ ज्यादा ही बड़ा खींच दिया गया।
करीब 11351 करोड़ केंद्रीय मदद की आस पिछले बजट में लगाई गई थी, लेकिन राज्य सरकार को सिर्फ 6661.28 करोड़ मिलने का ही अनुमान है। ऐसे में भाजपा सरकार सतर्कता बरतते हुए केंद्रीय मदद का खाका तैयार तो किया, लेकिन उसे वास्तविकता के इर्द-गिर्द ही रखने की रणनीति अपनाई है।
यही वजह केंद्र सरकार से सहायता अनुदान के रूप में कुल आमदनी का 20.52 फीसद बजटीय महत्वाकांक्षा में शामिल किया गया है। कृषि, आवास, सड़क, ग्राम्य विकास, शहरी विकास, सहकारिता, पशुपालन, बिजली, पानी और ढांचागत विकास के क्षेत्रों में केंद्रीय मदद पर ज्यादा भरोसा किया गया है।
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