नई दिल्ली। क्या से क्या हो गया..अभी पाकिस्तान के खिलाफ जीत की खुशी में झूम ही रहे थे कि अपने दूसरे पड़ोसी (श्रीलंका) ने चौंका डाला। जो टीम ग्रुप की सबसे कमजोर टीम नजर आ रही थी, जो टीम आइसीसी वनडे रैंकिंग्स में छठे स्थान पर संघर्ष कर रही थी उसने नंबर.1 भारत को पस्त कर दिया। जीत भी ऐसी वैसी नहीं, उनके वनडे इतिहास का सबसे सफल रन चेज। आखिर हमसे कहां चूक हुई, ऐसा क्या बदल गया तीन दिन में कि हम अर्श से फर्श पर आ गिरे। यूं तो हमारे खिलाड़ी शानदार हैं और हार-जीत भी लगी रहती है लेकिन कोई न कोई तो जिम्मेदार होगा ही। ये तीन हैं कल रात मिली हार के जिम्मेदार।
– विराट कोहली
भारत पहले बल्लेबाजी कर रहा था। धवन-रोहित की सलामी जोड़ी ने लाजवाब शुरुआत भी दे दी थी। रोहित के रूप में पहला झटका लगने से पहले हम 24.5 ओवर में 138 रन बना चुके थे। अब पिच पर कप्तान विराट पधारे। सुपरमैन बल्लेबाज है, मैच भी अहम है, तो उम्मीद भी वैसी ही रहेगी..लेकिन कप्तान साहब पांच गेंद खेलकर शून्य पर पवेलियन लौट गए। वो भी ऑफ साइड की ऐसी गेंद पर जिसको छोड़ा जा सकता था लेकिन उन्होंने जोखिम उठाया और गेंद कीपर के हाथ में थमा बैठे। देखते-देखते भारत का दूसरा विकेट गिर गया। ओपनर्स द्वारा तैयार किया गया अच्छा-खासा मंच एक गलती की वजह से ढह गया। बेशक विराट एक महान बल्लेबाज हैं और वो आइसीसी टूर्नामेंट में लंबे अरसे बाद शून्य पर आउट हुए हैं, ऐसे में उनकी आलोचना ठीक नहीं लेकिन चूक तो चूक है। फिर चाहे वो राजा की हो या मंत्री की।
– हार्दिक पांड्या
पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में हार्दिक हर ओर छाए हुए थे। कमेंट्री के दौरान कुछ दिग्गज तो उनकी तुलना महान ऑलराउंडर कपिल देव तक से करने लगे थे। अब इसे अति-आत्मविश्वास कहें या फिर अहम मैच में अनुभव की कमी होना। उन्होंने कल रात मैदान पर तीनों ही क्षेत्रों में निराश किया। पहले बल्लेबाजी करने उतरे तो ऑफ साइड पर फुल गेंद पर एक्स्ट्रा कवर पर शॉट खेलना चाहा लेकिन स्वीपर कवर को कैच थमा बैठे। वो ये देखना भूल गए कि गेंदबाज लकमल उनको जानबूझकर ऑफ पर बाहर गेंद कर रहे थे क्योंकि ठीक एक गेंद पहले उनके लिए फील्डिंग सजाई गई थी। इसके बाद दूसरी चूक हुई फील्डिंग में वो भी अपनी ही गेंद पर। 15वें ओवर में कुसल मेंडिस का कैच टपका दिया, जी हां, उसी कुसल मेंडिस का कैच जो उस समय महज 24 रन पर थे और बाद में 89 रन बनाकर पवेलियन लौटे व मैन ऑफ द मैच भी बने। पांड्या गेंदबाजी के क्षेत्र में भी पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए। उन्होंने 7 ओवर में बिना कोई विकेट लिए 51 रन लुटा डाले। जाहिर तौर पर उमेश यादव ने भी 9.4 ओवर में बिना कोई विकेट लिए 67 रन लुटा डाले लेकिन कल के मैच में हार्दिक की भूमिका ज्यादा अहम थी जिसे वो नहीं निभा सके।
– अनिल कुंबले (कोच)
..और तीसरे हैं टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले। आप सोच रहे होंगे कि भला वो क्यों हार के जिम्मेदार हैं जब वो खिलाड़ी हैं ही नहीं? दरअसल, यहां तर्क है 11 खिलाड़ियों के चयन से जुड़ा जो कल शाम मैदान पर उतरे थे।
इसमें कप्तान कोहली के साथ-साथ कोच कुंबले की अहम भूमिका रहती है और वो ऐसे मैच में रविचंद्रन अश्विन को कैसे भूल गए? कुंबले को ओवल के मैदान पर खेलने का अच्छा खासा अनुभव है और वो बखूबी जानते हैं कि भारतीय वनडे इतिहास में इस मैदान पर स्पिनर सबसे सफल रहे हैं। वो जानते हैं कि अश्विन ने इस मैदान पर दो वनडे मैचों में चार विकेट लिए हैं। वो वाकिफ हैं कि टेस्ट में इस मैदान पर स्पिनर्स बीएस चंद्रशेखर (8 विकेट), एस वेंकटराघवन (8 विकेट), बिशन सिंह बेदी (6 विकेट) और कुंबले खुद (6 विकेट) यहां सबसे सफल भारतीय गेंदबाजों में से रहे हैं। फिर भी अश्विन को क्यों नहीं आजमाया गया। यही नहीं, टेस्ट क्रिकेट में कुंबले श्रीलंका के खिलाफ सर्वाधिक विकेट (74) लेने वाले गेंदबाज हैं, जबकि अश्विन श्रीलंकाई टीम के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों में 21 विकेट और 20 वनडे मैचों में 32 विकेट ले चुके हैं, जो साबित करता है कि श्रीलंकाई खिलाड़ी हमेशा ही भारतीय फिरकी गेंदबाजों से घबराते आए हैं। ऐसे में अगर अश्विन फिट हैं तो उनको बेंच पर रखने का फैसला अजीब ही लगता है।
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