नई दिल्ली इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत 9 अप्रैल से चेन्नई में हो रही है। इस टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अहम फैसला लेते हुए पिछले कुछ समय से चर्चा में रहे सॉफ्ट सिग्नल नियम को लीग से हटा दिया है। इसके अलावा अब थर्ड अंपायर मैदानी अंपायर के नो बॉल और शॉर्ट रन के निर्णय को भी बदल सकेगा। बीसीसीआई ने इस नियम को इसलिए भी हटाया है क्योंकि हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ लिमिटेड ओवर सीरीज में अंपायर के कई फैसले भारतीय टीम के खिलाफ गए थे। इसको लेकर कप्तान विराट कोहली ने भी निराशा जताई थी और कहा था कि सॉफ्ट सिग्नल को हटा देना चाहिए। बीसीसीआई ने यह साफ कर दिया है कि अब थर्ड अंपायर पर फैसला भेजने से पहले मैदानी अंपायर के पास सॉफ्ट सिग्नल देने का कोई अधिकार नहीं होगा। पहले किसी खिलाड़ी के निर्णय को लेकर जब मैदानी अंपायर तीसरे अंपायर के पास जाता था तो उसे सॉफ्ट सिग्नल के तहत पहला अपना डिसीजन देना होता था, लेकिन अब अंपायर को ऐसा कुछ नहीं करना होगा। इसमें बीसीसीआई के मैदानी अंपायर के द्वारा सॉफ्ट सिग्नल देने से कई बार थर्ड अंपायर के पास कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है, इसलिए हम ऐसा सोच रहे हैं कि हमें अंपायरिंग के पुराने तरीके को अपनाना चाहिए। भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टी-20 मैच के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की थी। विराट ने कहा था कि मुझे नहीं पता कि संदेहजनक स्थिति में सॉफ्ट सिग्नल के बजाय अंपायर मुझे नहीं पता कॉल क्यों नहीं दे सकते हैं। ऐसे फैसले मैच के रुख को बदल सकते हैं, खासकर से इन बड़े मैचों में। आज हम इससे प्रभावित हुए और कल हमारी जगह कोई और टीम हो सकती है। जब डेविड मलान ने सूर्यकुमार का कैच पकड़ा तब वह मैदान पर जम चुके थे, क्योंकि सॉफ्ट सिग्नल आउट था, इसलिए थर्ड अंपायर ठोस सबूत की कमी के चलते फैसले को पलट नहीं सका।
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