window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); राज्य में 496 नए कोरोना संक्रमित मिले, 11 मरीजों की मौत | T-Bharat
November 16, 2024

TEHRIRE BHARAT

Her khabar sach ke sath

राज्य में 496 नए कोरोना संक्रमित मिले, 11 मरीजों की मौत

देहरादून: उत्तराखंड में बीते 24 घंटे के भीतर 11 कोरोना मरीजों की मौत हो गई, जबकि 496 और लोग संक्रमित मिले हैं। प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 83502 पहुंच गई है। वहीं, छह हजार से ज्यादा सक्रिय मरीज हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को 12205 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। देहरादून जिले में पिछले 24 घंटे में 177 लोग संक्रमित मिले हैं। नैनीताल में 104, पिथौरागढ़ में 60, ऊधमसिंह नगर में 25, उत्तरकाशी में 24, हरिद्वार में 18, पौड़ी व चमोली में 17-17, अल्मोड़ा में 16, चंपावत व टिहरी में 13-13, बागेश्वर में आठ और रुद्रप्रयाग जिले में चार संक्रमित मिले हैं। वहीं, 524 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया है।
    प्रदेश में 11 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है। इसमें सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में दो, कैलाश हॉस्पिटल में दो, हिमालयन हॉस्पिटल में एक, सिनर्जी हॉस्पिटल में एक, जया मैक्सवैल हॉस्पिटल में एक, श्री महंत इन्दिरेश हॉस्पिटल में दो, जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग में एक और एचएनबी बेस अस्पताल श्रीनगर में एक मरीज ने उपचार के दौरान दम तोड़ा है। अब तक प्रदेश में 1372 संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। श्रीनगर में राजकीय मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल से 40 दिन पूर्व कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत का रिकॉर्ड ही गायब हो गया। कई बार चक्कर काटने के बाद जब परिजनों को रिकॉर्ड नहीं मिला, तो बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से शिकायत की गई। तब जाकर रिकॉर्ड मिल पाया। चमोली जिले के कर्णप्रयाग निवासी पूर्व फौजी का विगत चार नवंबर की रात कोविड अस्पताल श्रीनगर में कोरोना संक्रमण से निधन हो गया था। अगले दिन अस्पताल ने शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया। नियमानुसार, जब परिजन 21 दिन बाद मृत्यु प्रमाणपत्र लेने बेस अस्पताल आए, तो उन्हें टाल दिया गया।
परिजनों ने जब कई बार चक्कर लगाए तो उन्होंने अस्पताल के एमआरडी (मेडिकल रिकॉर्ड विभाग) में रिकॉर्ड के बारे में जानकारी हासिल की। पता चला कि मृतक का रिकॉर्ड ही गायब है। 40 दिन बाद भी उसकी सूचना दर्ज नहीं है। उन्होंने कहा कि बेस अस्पताल के कर्मचारी लगातार उन्हें टाल रहे थे। कर्मचारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे। तब अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केपी सिंह से शिकायत की गई। जब दबाव बना, तो रिकॉर्ड मिल गया। इधर, बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सिंह ने बताया कि एमआरडी में फाइल मिल गई है। परिजनों को मृत्यु प्रमाणपत्र दे दिया गया है। 

news
Share
Share