देहरादून। प्रदेश के वन, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री डॉ0 हरक सिंह रावत ने विधान सभा स्थित सभाकक्ष में होटल एवं इडस्ट्रियल ऐसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं श्रम सम्बन्धित विषयों पर बैठक की। डॉ0 हरक सिंह रावत ने होटल एवं इण्डस्ट्री से जुड़े व्यवसायियों से अपेक्षा की कि उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के दिशा निर्देशों के अनुपालन में राज्य सरकार का सहयोग करें। श्रम मंत्री ने होटल एवं उद्योग व्यवसायियों से अपील की कि वे 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी दशा में कार्य न लें तथा श्रमिकों से निर्धारित अवधि 8 घण्टे का ही कार्य लिया जाये। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री भारत सरकार के कैशलैस भुगतान के आदेशों का समस्त उपक्रम सख्ती से अनुपालन कराना सुनिश्चित करते हुए श्रमिकों का पारिश्रमिक सीधे खातों में उपलब्ध करायें।
उन्होंने कहा कि होटल एवं पर्यटन हमारी आर्थिकी का प्रमुख श्रोत है, किन्तु उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों का होटल एवं उद्योग उपक्रमों को अनुपालन करने की अनिवार्यता है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पर्यावरण संरक्षण के दिशा निर्देशों के अनुपालन शतप्रतिशत सुनिश्चित कराने के लिए उत्तराखण्ड संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव विनोद सिंघल एवं उद्योग तथा होटल एसोसिएशन के दो-दो सदस्यों की समिति के माध्यम से ठोस एवं उपादेय प्रस्ताव सरकार के समक्ष लाने के निर्देश दिये। वन मंत्री ने कहा समस्त नगर निगमों एवं पंचायतों को अपनी-अपनी सीमा के अन्तर्गत सीवरेज ट्रीटमेंट की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
श्रम विभाग की चर्चा के दौरान इण्डियन इण्डस्ट्री ऐसोसिएशन उत्तराखण्ड ईकाई के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि राज्य के श्रम विभाग द्वारा उद्योगों को तीन वर्गों में बांटा गया है। जिसमें से सबसे निम्न जोखिम वर्ग के उद्योग में 10 मजदूरों का मानक रखा गया है। श्रम मंत्री द्वारा छोटे उद्योगों में रोजगार के ज्यादा सम्भावनाओं को देखते हुए इस वर्ग में श्रमिकों की संख्या की सीमा 15 करने के निर्देश श्रमायुक्त को दिये गये हैं। अब 15 श्रमिक वाली लघु उद्योग ईकाई को सेल्फ एसएसमेन्ट श्रेणी में गिना जायेगा।
श्रम मंत्री ने हरिद्वार के सिडकुल के लिए स्वीकृत 100 बैड चिकित्सालय के निर्माण में तेजी से कार्य करने के निर्देश दिये। राज्य कर्मचारी बीमा योजना के निदेशक द्वारा बताया गया कि हरिद्वार के सिडकुल में भूमि की लीजडीड राज्य कर्मचारी बीमा निगम कारर्पोरेशन द्वारा की जा चुकी है, तथा चिकित्सालय के लिए धन भी स्वीकृत किया जा चुका है तथा कार्यदायी संस्था का भी चयन कर लिया गया है। डॉ0 रावत ने समयबद्ध एवं गुणवत्ता से चिकित्सालय का निर्माण शुरू कराने के निर्देश दिये। उन्होंने देहरादून में 100 बैड के चिकित्सालय का कार्य भी तेजी से शुरू कराने के निर्देश दिये, तथा राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लेते हुए कर्मचारी राज्य बीमा योजना का विस्तार करने के निर्देश दिये। उन्होंने कोटद्वार स्थित उद्योग ईकाईयों के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सिगड्डी(कोटद्वार) में 50 बैड का चिकित्सालय की स्थापना का प्रस्ताव कारर्पोरेशन भेजने के निर्देश दिये तथा चिकित्सालय हेतु भूमि दिलाने का आश्वासन दिया। श्रम मंत्री ने कहा कि ऐसे क्षेत्र जहाँ पर श्रमिकों हेतु ईएसआई के औषधालय/चिकित्सालय नहीं हैं, तथा आकस्मिक चिकित्सा की स्थिति आ जाती है, तो ऐसी स्थिति मे वहाँ आसपास स्थित सूचिबद्ध अस्पताल में श्रमिक सीधे अपना ईलाज करा सकता है। उन्होंने कहा कि सूचिबद्ध अस्पताल न होने की स्थिति में प्राईवेट अस्पताल में श्रमिक के ईलाज का भुगतान भी ईएसआई द्वारा किया जायेगा। वर्तमान में श्रमिक को ईएसआई औषधालय से सूचीबद्ध अस्पताल में रिफर कराना पड़ता है।
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