देहरादून: उत्तराखण्ड प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र शाह ने प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा गठित किये गये जिला विकास प्राधिकरणों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से उत्तराखण्ड की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने निजी निर्माण करने के लिए प्राधिकरण के नियमों का पालन सुनिश्चित करने में कठिनाई का सामना करना पड रहा है। जिला विकास प्राधिकरण भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। जिला प्राधिकरणों के गठन से आम जनता को होने वाली परेशानियों की ओर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का ध्यान आकर्षित करते हुए राजेन्द्र शाह ने कहा कि जिला विकास प्राधिकरणों के माध्यम से सरकार द्वारा निर्माण कार्यों पर 1 प्रतिशत सेस लगाया गया है जो कि न्यायोचित नहीं है।
राजेन्द्र शाह ने कहा कि जिला विकास प्राधिकरणों द्वारा रजिस्ट्रेशन एवं विकास शुल्क के नाम पर मोटी फीस वसूली जा रही है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र मे पुस्तैनी मार्ग हैं जिनकी चैडाई स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप है परन्तु विकास प्राधिकरण के नियमों के अनुसार कम से कम 2 मीटर चैडाई होनी चाहिए। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में मकान वर्षों पहले बने हैं ऐसी स्थिति में पुराने भवनों की स्वीकृति इन्हीं रास्तों के आधार पर होनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे कई प्रवासी नागरिक जिनका रोजगार छिन चुका है तथा उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे प्रवासी बेरोजगारों को सड़क किनारे टीन शैड में छोटा-मोटा व्यवसाय चलाने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है।
राजेन्द्र शाह ने कहा कि जिला प्राधिकरण के गठन से पूर्व राष्ट्रीय राज मार्ग तथा राज्य मार्ग के मध्य पड़ने वाले कई पुराने बने हुए ऐसे भवन हंैं जिनके दोनों ओर सड़क जा रही है, ऐसे भवनों को एक ही ओर से अतिक्रमित माना जाना चाहिए था। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि राज्य सरकार द्वारा श्री चन्दन राम विधायक की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय विधानसभा कमेटी तथा पक्ष-विपक्ष के सभी विधायकों द्वारा सर्वसम्मति से जिला विकास प्राधिकरणों को समाप्त करने की शिफारिश की गई है जिसका अंतिम निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा लिया जाना है। परन्तु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि इस मामले पर विचार हेतु गठित समिति द्वारा सौंपी गई संस्तुति के उपरान्त हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में उक्त विषय पर कोई निर्णय नहीं लिया गया अपितु इसके विपरीत नक्शा पास कराने हेतु फीस की दरों में कमी करने का निर्णय लिया जा रहा है जबकि विकास प्राधिकरणों के लिए गठित कमेटी की सर्वसम्मत सिफारिश के अनुसार जिला विकास प्राधिकरणों के गठन को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत से पुनः आग्रह किया कि जनहित को मद्देनजर रखते हुए जिला विकास प्राधिकरणों के लिए गठित विधानसभा कमेटी की शिफारिशों पर मंत्रिमण्डल की बैठक में निर्णय लेकर तत्काल प्रभाव से जिला विकास प्राधिकरणों के गठन को समाप्त किया जाय ताकि उत्तराखण्ड से बेरोजगारों का पलायन रोका जा सके।
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