देहरादून: पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के देहरादून चैप्टर के द्वारा 10 जनवरी को गलत सूचना की महामारी से बचने के लिए तार्किक सोच एवं मीडिया साक्षरता की अलख जगाने के उद्देश्य से फैक्टशाला वर्कशॉप का आयोजन किया गया। अनिल सती सचिव पी आर एस आई देहरादून चैप्टर ने कहा की पी आर एस आई भविष्य में भी इस तरह के कई आयोजन करवाने के लिए तत्पर है।
इस कार्यशाला की जरुरत पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत ही नहीं पूरा विश्व दो बड़ी महामारियों से जूझ रहा है, एक है पैंडेमिक तो दूसरी है इन्फोडेमिक यानि गलत सूचना की महामारी। गलत सूचना की महामारी पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह कोरोना महामारी से भी ज्यादा खतरनाक है। कोई मास्क, सेनेटाइजर या टीका आपको इससे नहीं बचा सकता, इसका सिर्फ एक ही इलाज है और वह है मीडिया लिटरेसी। यह कार्यशाला इंटर न्यूज के तत्वाधान में डाटा लीडस् एवं गूगल न्यूज इनिशिएटिव के सहयोग से पूरे भारत में इंडिया मीडिया लिटरेसी नेटवर्क मुहीम के तहत आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में फैक्टशाला ट्रेनर प्रोफेसर भावना पाठक ने मीडिया लिटरेसी की उपयोगिता के बारे में जानकारी देते हुए फेक न्यूज को पहचानने और उससे बचने के उपाय बताये। प्रोफेसर पाठक ने बताया कि सूचना एवं संचार के इस युग में मीडिया साक्षर होना वक्त की सबसे बड़ी मांग है क्यूंकि मीडिया आज हमारी जिन्दगी का अहम् हिस्सा बन गया है जो हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करता है। मीडिया साक्षर व्यक्ति न केवल खबरों को जाँच परखकर उन्हें ग्रहण करता है बल्कि साथ ही वह मीडिया लिटरेसी के जरिये अपनी तार्किक क्षमता का विकास कर लोकतंत्र में सक्रिय एवं जिम्मेदार नागरिक की भूमिका का भी भलीभांति निर्वाह करता है। आज हम पर जिस तरह से सूचनाओं की बमबारी हो रही है, एजेंडा, प्रोपगंडा, मत और सूचनाओं की स्पाइसी मिक्स वेज बनाकर हमें जिस ढंग से परोसी जा रही है उसे समझना बेहद जरूरी है, और मीडिया लिटरेसी इसमें हमारी मदद करती है। कौन सी खबर हमें किस मीडिया हाउस के द्वारा परोसी जा रही है, उस खबर को हाईलाइट करने के पीछे उस मीडिया चैनल का क्या उद्देश्य है, उस खबर के जरिये हमें क्या बताने की कोशिश की जा रही है,किन खबरों को दिखाया और किन खबरों को क्यूं दबाया जा रहा है, मुख्य धारा की मीडिया पर किसका कब्जा है और अपने दायित्वों का निर्वाह करने के लिए मीडिया कितना स्वतंत्र है, इन सारे सवालों के तह तक जाकर उनका विश्लेषण करना सिखाती है मीडिया लिटरेसी।
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