नई दिल्ली । जाके राखो साइयां, मार सके ना कोय की कहावत एक बार फिर चरितार्थ हो गई। मुंबई की चार माह की विदिशा को जन्म से ही एक गंभीर हार्ट डिफेक्ट था, जिसके लिए 12 घंटे तक एक सर्जरी से गुजरना पड़ा। उसके बाद भी उसे छह बार हार्ट अटैक आया, फिर भी हर परिस्थितियों को झेलते हुए जिंदगी की जंग जीत ही ली। पिछले दो महीनों से यहां का पारेल हॉस्पिटल विदिशा का घर बना हुआ है और लोग उसे ‘चमत्कारी बच्ची’ बुलाने लगे हैं, क्योंकि वाकई में उसका जिंदा बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, विदिशा कल्याण निवासी विशाखा और विनोद वाघमाड़े की बेटी है और कुछ ही दिनों में उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। उसके पिता मुश्किल से इलाज में खर्च हुए पांच लाख में से 25 हजार रुपये जुटा पाए, बाकि की पैसे हॉस्पिटल के डोनर्स ने वहन किए। विदिशा की मां विशाखा ने बताया, ‘जब वह 45 दिन की थी, तब मैंने दूध पिलाया जिसके बाद उसने उल्टी कर दी और फिर बेहोश हो गई। हमने उसे जगाया, मगर वह फिर से बेहोश हो गई।’ विदिशा के माता-पिता उसे पास के नर्सिंग होम लेकर गए, जहां उन्हें बी जे वाडिया हॉस्पिटल जाने की सलाह दी गई। वहां उन्हें मालूम हुआ कि विदिशा को हार्ट डिफेक्ट है। उसके हार्ट का आकार सामान्य हार्ट से बिल्कुल उल्टा था। हालांकि 12 घंटे तक चली लंबी सर्जरी के बाद विदिशा के हार्ट ने ठीक से काम करना शुरू किया, मगर उसके कमजोर फेफड़े फिर भी ठीक तरह से काम नहीं कर पा रहे थे। डॉक्टर पांडा ने बताया, ‘आर्टिरीज की सर्जरी जन्म के तुरंत बाद हो जानी चाहिए, मगर विदिशा के मामले में ऐसा नहीं हुआ। विदिशा के फेफड़े उसी खराब पैटर्न पर काम करने के आदी हो चुके थे, जिसकी वजह से अचानक सर्जरी के बाद वह उसमें ढल नहीं पाए। सर्जरी के बाद विदिशा 51 दिन आइसीयू में भर्ती थी। इस दौरान उसे छह बार हार्ट अटैक का सामना करना पड़ा। सर्जन डॉक्टर सुरेश ने बताया, ‘यह एक अनोखा मामला था, जहां विदिशा के फेफड़े को स्थिर करने के लिए हमें उच्च फ्रीक्वेंसी वाले ऑसिलेटरी वेंटलिटर का इस्तेमाल करना पड़ा।
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