देहरादून: बैंकों के एकीकरण के बाद भी मांगों पर कार्यवाही नहीं होने के विरोध में शुक्रवार को ज्वाइंट फोरम ऑफ यूनियन बैंक यूनियंस उत्तराखण्ड ने धरना दे कर प्रदर्शन किया। बैंक कर्मियों का कहना था कि आंध्रा और कोर्पोरेशन बैंकों का यूनियन बैंक में एकीकरण विगत वर्ष हुआ था। जिसके नियमानुसार तीनों बैंकों में सर्वोत्तम फ्रीज बेनेफिट एवं पॉलिसी सभी कर्मचारियों पर लागू होनी थी। जिसका यूनियन बैंक के अलावा अन्य बैंकों द्वारा पूरी तरह पालन किया गया। कहा कि यूनियन बैंक में एआईबीईए और प्रबंधक वर्ग के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए। जिसमें नियमों को ताक पर रख दिया गया और कर्मचारियों की फ्रीज बेनेफिट एवं पॉलिसी को नजरअंदाज किया गया।
कहा कि रिटायर नेता जिन्हें कार्यरत कर्मचारियों से कोई सरोकार नहीं है। कर्मचारियों द्वारा मांग की गई है कि तीनों बैंकों में सर्वश्रेष्ठ फ्रीज बेनेफीट को एक अप्रैल 2020 से लागू किया जाए। नये भर्ती स्टाफ को सुविधाएं कार्य ग्रहण करने की तारीख से दी जाए। समस्त विशेष भत्ते वाले पदों की रिक्तियों को 30 दिन के भीतर भरा जाए। समस्या पीटीएस को पूर्ण कालिन हाउस कीपर में परिवर्तित किया जाए। कैजुवल कर्मचारियों से संबंधित नीतियों का सामंजस्य किया जाए। कर्मचारियों स्टेशन से जिले तक ट्रांसफर, रोटेशन क्षेत्र के विस्तार का विरोध किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि एक वर्ष तक की सेवा से पहले नये भर्ती कर्मचारियों के स्थानांतरण आवेदन पर प्रतिबंध लगाया गया है जो अनुचित है। धरने पर संगठन के संरक्षक श्याम बीर सिंह, अध्यक्ष केसी ध्यानी, महामंत्री सतीश डबराल, संगठन मंत्री आरएस भण्डारी, कोषाध्यक्ष महेंद्र सिंह असवाल, उप महामंत्री राजेश जैन, चंद्र मोहन सिंह, अंशुल स्वरूप, एनसीबीके संयोजक समदर्शी बर्थवाल, बैंक ऑफ बड़ोदा यूनियन के जोनल सचिव निशांत शर्मा, आईओबी यूनियन के नवीन नेगी और बैंक ऑफ इंडिया के आरके अग्रवाल आदि बैठे।
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