देहरादून: कारगिल युद्ध के 21 साल बाद भी भारत के वीरों के शौर्य और बलिदान को भूल पाना देशवासियों के लिए असंभव है। कारगिल युद्ध, मई 1999 में,पाकिस्तानी सैनिकों के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के बाद शुरू हुआ। 60 दिनों के संघर्ष के बाद, भारतीय सेना ने दुश्मन के कब्जे में आ चुके क्षेत्र पर वापिस अपना अधिकार प्राप्त कर लिया।
दो महीनों के युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने सिद्ध कर दिया कि उनका एकमात्र लक्ष्य है। विजय और उसे हासिल करने से पहले ना वो थकेंगे और ना ही रूकेंगे। अबसेना और ऐतिहासिक अभिलेखों के साथ, हिस्ट्रीटीवी18 की नई फिल्म ऑपरेशन विजय को पुनः प्रस्तुत कर रही है, जो तथ्यों और नाटकीय रूपांतरणों की सहायता से भारतीय सेना की इस असंभव सी लगने वाली जीत की सच्ची कहानियों से भरी है। रोमांच और एक्शन से भरपूर, ‘ज्ञंतहपसरू टंसवनत- टपबजवतल’ , का प्रीमियर 26 जनवरी, मंगलवार को रात 9 बजे होगा। यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म कारगिल युद्ध की घटनाओं पर प्रकाश डालती है सेना के 5 अविलक्षण जवानों और युद्धभूमि में उनकी वीरता की सच्ची कहानियों के माध्यम से, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए वीरता और बलिदान की मिसाल बन गईं। ये जवान और उनकी कहानियाँ प्रतिनिधित्व करती हैं, देश के लिए लड़ने वाले हजारों नायकों का। कारगिल युद्ध में 30,000 से अधिक भारतीय सैनिकों ने भाग लियाय 500 से अधिक शहीद हुए और 1300 से अधिक घायल हुए। यह फिल्म उन सभी के लिए एक श्रद्धांजलि है। फिल्म में जंग के समय वहाँ मौजूद सेना के शीर्ष अधिकारियों को भी सम्मिलित किया गया है। इस फिल्म में दर्शक मुख्य रूप से पूर्व थलसेनाध्यक्ष, जनरल वेद प्रकाश मलिक पीवीएसएम, एवीएसएम (सेवानिवृत्त), पूर्व जीओसी 8 माउंटेन डिवीजन, लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदरपुरी पीवीएसएम, यूआईएसएम (सेवानिवृत्त), पूर्व ब्रिगेड कमांडर 8 माउंटेन आर्टिलरी ब्रिगेड, मेजर जनरल लखविंदर सिंह, वाईएसएम (सेवानिवृत्त) और रणनीतिक रक्षा विश्लेषक नितिन एगोखले से रूबरू हो पाएँगे।
Her khabar sach ke sath
More Stories
बारातियों से भरी स्कॉर्पियो डिवाइडर से टकराई, 4 लोगों की मौत, 4 घायल
धर्मनगरी हरिद्वार में कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
पुलिस ने दो गांजा तस्करों को किया गिरफ्तार किया, 6 लाख का माल बरामद