window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); धूमधाम से मनाया गया गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय का 119वां स्थापना दिवस | T-Bharat
November 17, 2024

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धूमधाम से मनाया गया गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय का 119वां स्थापना दिवस

देहरादून/हरिद्वार : गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय का 119 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। स्थापना दिवस कार्यक्रम की शुरुवात विश्वविद्यालय भवन में यज्ञ से हुई। यज्ञ के ब्रह्मा प्रो सोमदेव शतांशु रहे, तथा कार्यक्रम का संचालन प्रो दिनेश चन्द्र भट्ट ने किया। कार्यक्रम के आरम्भ में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. दिनेश कुमार भट्ट ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से विश्वविद्यालय की विकास यात्रा का एक विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया। स्थापना दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र डोभाल, डायरेक्टर, यूकॉस्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय की मूल संकल्पना मात्र रोजगार देने की नहीं है बल्कि विश्वविद्यालय की एक व्यापक भूमिका है विश्वविद्यालय का काम चरित्र निर्माण से जुड़ा है ताकि देश के लिए सजग नागरिकों का निर्माण किया जा सकें। उन्होंने कहा कि भारत में विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़ा इतिहास लिखे जाने की आवश्यकता है। डॉ. डोभाल ने कहा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ संस्कार देता है और यह विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में देश के शैक्षणिक जगत का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है।
स्थापना दिवस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारें जेएनयू के सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज के प्रोफेसर सुधीर कुमार आर्य ने कहा  कि स्वामी श्रद्धानन्द ने वैदिक शिक्षा दर्शन को स्थापित किया तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रूप में वेदों के ज्ञान को अकादमिक रूप से अध्यापन और शोध का विषय बनाकर एक उल्लेखनीय कार्य किया है।  प्रो. सुधीर आर्य ने कहा कि वेदों के अंदर मात्र कर्मकाण्ड और यज्ञकर्म का ज्ञान नहीं है बल्कि वेद विश्व की समस्त विद्याओं के जनक रहे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी की प्रतिष्ठा से जुड़ें कई संस्मरण साझा किये। स्थापना दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रो. विनोद कुमार उपाध्याय ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की ज्ञान परम्परा का परचम पूरा यूरोप मानता रहा है अतीत में यहाँ के कई विद्वानों ने पश्चिम के समाज को अपनी मेधा के बल पर नतमस्तक किया हैद्य उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा और आयुर्वेद के रिश्तों को विस्तार से समझाया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है तथा विश्वविद्यालय परिवार उस इतिहास के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। प्रो. शास्त्री ने कहा कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र-छात्राएं आज भी विश्वविद्यालय से एक गहरा भावनात्मक लगाव रखते हैं जो इस बात का प्रमाण है कि गुरुकुल कांगड़ी में यंत्रवत शिक्षा नहीं बल्कि एक भावप्रण शिक्षा प्रदान करता हैद्य उन्होंने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय अपनी परम्परा की को आगे ले जाने के लिए कृत संकल्प है। स्थापना दिवस कार्यक्रम का संचालन प्रो. दिनेश कुमार  शास्त्री ने किया। स्थापना दिवस कार्यक्रम में प्रो एम आर वर्मा, प्रो. वी. के. सिंह, प्रो. पंकज मदान, प्रो. एस. के. श्रीवास्तव, प्रो. श्रवण कुमार शर्मा, प्रो. नवनीत, प्रो. एल.पी. पुरोहित, प्रो. सुरेन्द्र त्यागी, डॉ. धर्मेन्द्र बालियान, डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. श्वेतांक आर्य, डॉ. अजय मलिक. डॉ. नमिता जोशी, डॉ संगीता सिंह, डॉ ऋतु अरोरा, प्रो सुचित्रा मालिक, डॉ दीन दयाल, प्रो सत्यदेव निगमालंकार, प्रो कर्मजीत भाटिया, डॉ दीपा गुप्ता, प्रो ब्रह्मदेव, डॉ शिव कुमार चैहान, डॉ सत्येंद्र कुमार राजपूत, डॉ गंधर्व सेन, डॉ बिन्दु मालिक, डॉ बीना विश्नोई, डॉ अजय मालिक, प्रो सुरेन्द्र त्यागी, डॉ अजीत तोमर, डॉ उधम सिंह, बीजेन्द्र सिंह, दीपक वर्मा, प्रमोद कुमार, अमित धीमान, नवीन, वीरेंद्र पटवाल, सत्यदेव इत्यादि उपस्थित रहे।

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