window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); सड़कों पर दौड़ रहे हैं बीएस-3 वाहन | T-Bharat
November 21, 2024

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सड़कों पर दौड़ रहे हैं बीएस-3 वाहन

दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा सुधरने की उम्मीद तो है लेकिन इसमें वक्त लगेगा। इसका कारण यह है कि फिलहाल सड़कों पर बीएस-3 वाहन ही दौड़ रहे

नई दिल्ली । बीएस-3 वाहनों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा बदलने में अभी करीब एक दशक का वक्त लग जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि शुक्रवार 31 मार्च तक बिक चुके बीएस-3 वाहन सड़कों पर फर्राटा भरते रहेंगे। अकेले दिल्ली में ही इन वाहनों की संख्या करीब 60 लाख है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारी भी इससे इन्कार नहीं कर रहे।

बीएस-3 तकनीक वाले डीजल और पेट्रोल वाहनों से बड़े स्तर पर कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रो कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड आदि जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि बीएस-4 तकनीक वाले पेट्रोल वाहन आने पर सल्फर कंटेंट प्रति किलोग्राम 150 से घटकर 50 मिलीग्राम जबकि एरोमैटिक कंटेंट 42 से घट कर 35 से भी नीचे आ जाएगा। इसी तरह डीजल वाहनों में सल्फर 350 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम से घटकर 50 मिलीग्राम रह जाएगा।

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी बताती हैं कि बीएस-4 लागू होने के बाद ट्रकों के धुएं से फैलने वाला वायु प्रदूषण 80 फीसद और कारों के धुएं से फैलने वाला प्रदूषण आधा रह जाएगा। वहीं, दोपहिया वाहनों से निकलने वाली हाइड्रो कार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों का प्रभाव भी 41 से 80 फीसद तक घट जाएगा।

दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा सुधरने की उम्मीद तो है लेकिन इसमें वक्त लगेगा। इसका कारण यह है कि फिलहाल सड़कों पर बीएस-3 वाहन ही दौड़ रहे हैं। कई लाख वाहन तो बीएस-2 तकनीक वाले ही हैं। धीरे-धीरे जब ये वाहन सड़कों से हटेंगे तभी आबोहवा में सुधार आना शुरू होगा। विशेषज्ञों की मानें तो सड़कों पर पूरी तरह से बीएस-4 वाहन आने में एक दशक का वक्त भी लग सकता है।

वायु प्रदूषण में कमी के लिए करना होगा इंतजार

सीपीसीबी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. दीपांकर साहा का कहना है कि एक अप्रैल से बीएस-4 वाहन सड़कों पर आने शुरू हो जाएंगे। जैसे-जैसे इनका संख्या बढ़ेगी, वैसे- वैसे ही सकारात्मक परिणाम दिखेंगे। शुरुआती कुछ सालों में तो यह संख्या दिल्ली एनसीआर के कुल वाहनों का 50 फीसद भी नहीं हो पाएगी। इसलिए या तो सरकार और कोर्ट पुराने वाहनों को भी सड़कों से जल्द हटाने की दिशा में आदेश दे। अन्यथा बेहतर आबोहवा के लिए अभी लंबा इंतजार करें

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