(रवि शास्त्री का कॉलम)
मेरे लिए यह दिलचस्प है कि जब राहुल द्रविड़ दिल्ली डेयरडेविल्स की संभावना को लेकर उत्साहित थे, मुंबई इंडियंस उनकी टीम की धज्जियां उड़ा रही थी। उसके युवा खिलाडि़यों के लिए यह एक बेहद शानदार मौका था, लेकिन उन्होंने निराशाजनक स्थिति में एक के बाद एक अपने विकेट गंवा दिए। यहां तक कि अभी भी द्रविड़ का अपनी युवा सेना पर भरोसा कायम है।
द्रविड़ बेहद गंभीर और बहुत बेहतर हैं। उन्हें अपनी टीम से प्लेऑफ में पहुंचने की काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। सैद्धांतिक रूप से उन्हें इसके लिए बचे हुए आठ मुकाबलों में से लगभग छह अपने नाम करने होंगे। हालांकि, यह काम पहाड़ी पर उल्टा पानी चढ़ाने जैसा है, लेकिन अगर उनके युवा डेविल्स हिम्मत करते हैं तो वे अब भी ऐसा कर सकते हैं।
वे अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। उसके गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम के लिए लक्ष्य को 160 रन के अंदर सीमित कर रहे हैं। उन्हें हर एक गेंद पर लड़ने की जरूरत नहीं है। उन्हें ऑलराउंडरों की जरूरत है। उन्हें पारी के दूसरे चरण की समाप्ति तक अपने विकेट बरकरार रखने होंगे। दूर से, दिल्ली इस आइपीएल की सबसे निराशाजनक प्रदर्शन वाली टीम है। हालांकि, कागजों पर यह एक रोमांचक टीम नजर आती है। उसके पास भारत के कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं।
कोलकाता के खिलाफ मैच दोनों टीमों के लिए अहम हो सकता है। गंभीर के खिलाडि़यों ने इस आइपीएल को कुछ नीरस बना दिया है। यदि दिल्ली उनके घर में घुसकर उन्हें चुनौती दे सकती है तो इसमें खोया हुआ कुछ रोमांच फिर उत्पन्न हो सकता है। उन्हें विश्वास की जरूरत है और जब नरेन, या कुलदीप या कल्टर नील गेंदबाजी करने पर आएं तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। हर कोई जानता है कि दिल्ली तालिका में जहां नजर आ रही है, वह उससे काफी बेहतर है। एक बात उनके पक्ष में जाती है कि उन्होंने अब तक सभी टीमों की तुलना में कम मैच खेले हैं।
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