window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); अपने ही दांव में उलझी शिवसेना, तीसरी बार लगा है राष्ट्रपति शासन | T-Bharat
September 23, 2024

TEHRIRE BHARAT

Her khabar sach ke sath

अपने ही दांव में उलझी शिवसेना, तीसरी बार लगा है राष्ट्रपति शासन

Maharashtra Political Crisis: अपने ही दांव में उलझी शिवसेना, तीसरी बार लगा है राष्ट्रपति शासन

New delhi : राज्य में 19 दिनों से चल रहा राजनीतिक संकट आखिरकार राष्ट्रपति शासन तक पहुंच ही गया, जिसके पहले से कयास लगाए जाने लगे थे। ये कोई पहला मौका नहीं है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है। इससे पहले भी तीन बार यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। खास बात ये है कि इस पूरी रस्साकसी में सबसे ज्यादा नुकसान शिवसेना को हुआ है।

शिवसेना ने अपनी जिद में केंद्र सरकार में कैबिनेट का पद भी गंवा दिया और अब एनडीए गठबंधन से अलग होने की कगार पर है। 50-50 के फार्मूले पर अड़ी शिवसेना राज्य में भाजपा संग सरकार बनाने की संभावनाएं खुद ही खत्म कर चुकी थी। शिवसेना को पूरी उम्मीद थी कि अगर राज्य में उसने भाजपा को ठेंगा दिखाया तो, एनसीपी और कांग्रेस उसके साथ सरकार बनाने को तैयार बैठे हैं। हालांकि, शिवसेना अब अपने ही दांव में बुरी तरह से उलझ चुकी है।

24 अक्टूबर को घोषित हुए थे परिणाम

हरियाणा व महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे 24 अक्टूबर को ही घोषित हो चुके थे। आंकड़ों में शिवसेना-भाजपा गठबंधन, बहुमत से काफी आगे था। बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सहयोगी दलों में बातचीत नहीं बन सकी। इसके बाद से राज्य में जारी राजनीतिक दंगल, पिछले दो दिनों से चरम पर था।

बहुमत पेश नहीं कर सकी शिवसेना

पिछले 24 घंटे में गवर्नर ने शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन दोनों ही बहुमत का आंकड़ा पेश करने में नाकाम रहीं। लिहाजा आज (मंगलवार, 12 नवंबर 2019) दोपहर करीब तीन बजे राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कराने की सिफारिश कर दी थी। इसके कुछ देर बाद ही राष्ट्रपति ने राज्यपाल की सिफारिश पर मुहर लगाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी प्रदान कर दी है।

पहले कब-कब लागू हुआ राष्ट्रपति शासन

महाराष्ट्र में पहली बार 17 फरवरी 1980 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। तब मुख्यमंत्री शरद पवार के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत था, बावजूद सदन भंग कर दिया गया था। इसके बाद 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक, 112 दिन महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था। राज्य में दूसरी बार 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। तब कांग्रेस ने सरकार में शामिल सहयोगी दल एनसीपी समेत अन्य दलों से किनारा कर लिया था। नतीजतन सदन को भंग करना पड़ा था। उस वक्त 28 सितंबर से 30 अक्टूबर 2014 तक, 32 दिन के लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था।

news
Share
Share