देहरादून। आयोग द्वारा बहु चर्चित खबर का संज्ञान लेते हुए (पुलिस कर्मी और युवक द्वारा नाबालिक के संग दुष्कर्म किशोरी गर्भवती समय से पूर्व नवजात की मौत) प्रकरण पर आयोग द्वारा कोरोनेशन अस्पताल का औचक निरक्षण किया गया, जिसमे अस्पताल में भर्ती नाबालिक महिला से मिलने हेतु आयोग द्वारा अस्पताल का निरीक्षण किया गया, यद्यपि पीड़ित द्वारा स्वयं के अनुरोध पर घर जाने हेतु आग्रह करने पर पुलिस की देख रेख में डिस्चार्ज किया जा चुका था। प्रेमातुरे होने के कारण नवजात शिशु की मृत्यु हो गयी। आयोग द्वारा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जाच की आवश्कता महसूस की गयी है।
पीड़िता का किसी भी प्रकार से मानसिक उत्पीडन न हो क्यूंकि पीड़िता नाबालिक है ये प्रकरण केवल नाबालिक तक ही अपितु बाल विवाह की और भी प्रेरित करता है ? प्रकरण ख्पुलिस कर्मी से सम्बंधित है समाचार पत्रों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की चर्चाये समाज में व्याप्त है। लगभग एक सप्ताह होने के बाद भी अभी तक बच्चे का डीएनए टेस्ट नहीं किया जाना शंका को जन्म देता है। पीडिता के परिवार के निजी अनुरोध पर पुलिस की देख रेख में कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के लिए टिहरी ले जाया गया आयोग द्वारा जांच अधिकारी से वार्ता की गयी अभी तक उचित कार्यवाही नहीं करने पर संतोष जनक जवाब नही दिया गया है।
पीओसीएसओ में केस रजिस्टर्ड दोनों पर सुसंगत धाराओं में कार्यवाही कर पीडिता को न्याय दिलाना जा सकें। पीडिता वर्तमान समय तक पूर्ण रूपसे स्वस्थ नहीं है उनको मेडिकल ऑब्जरवेशन में रखा जाना चाहिए और देवभूमि उत्तराखंड में इस प्रकार की घटनाओ की पुनर्वृति न हो इस पर व्यापक रूप से कार्य योजना बनाये जाने की आवशकता है। आयोग के सदस्य विनोद कपरवान के अध्यक्षता में टीम द्वारा कोरोनेशन अस्पताल का औचक निरक्षण किया गया और अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक वी.एस. चौहान, जन संपर्क अधिकारी प्रमोद पंवार से मेडिकल सम्बंधित जानकारी प्राप्त की गयी और पीडिता को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने से पहले डिस्चार्ज किये जाने पर आपत्ति व्यक्त की गयी। पुलिस जांच एवं मेडिकल जांच व नवजात बच्चे के मृत्यु के कारण सहित अघ्रिम तिथि में आयोग में तलब किया गया है। निरीक्षण में आयोग के अनुसचिव डॉ सतीश कुमार एवं मनानिय अध्यक्ष के निजी सचिव विशाल चाचरा उपस्थित रहे।
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