window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); जिले में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा; CM का आदेश भी बेअसर | T-Bharat
November 26, 2024

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जिले में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा; CM का आदेश भी बेअसर

उत्तरकाशी। सीमांत जनपद में जिला प्रशासन और उत्तराखंड जल विद्युत निगम को अपने स्वामित्व वाली भूमि को अतिक्रमण से बचाने की कोई फिक्र नहीं है। जहां भी सरकारी खाली भूमि है वहां अतिक्रमण की बाढ़ है। शहर के गोफियारा, इंदिरा कालोनी, जोशियाड़ा, ज्ञानसू और मनेरा क्षेत्र में साढ़े चार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण है।

अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं

दैनिक जागरण को सूचना का अधिकार अधिनियम में यह जानकारी उपजिलाधिकारी कार्यालय और जल विद्युत निगम ने दी है। इसमें अतिक्रमण की प्रकृति, अतिक्रमण का क्षेत्रफल और अतिक्रमण के विरुद्ध की गई कार्रवाई की जानकारी दी गई है। ताज्जुब की बात यह है कि अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध आज तक कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। केवल कुछ अतिक्रमणकारियों को पूर्व में खानापूर्ति के लिए नोटिस दिए गए हैं।

उपजिलाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी में बताया गया है कि इंदिरा कालोनी से लेकर भटवाड़ी टैक्सी स्टैंड तक 160 व्यक्तियों ने 0.9023 हेक्ट्रेयर राज्य सरकार की भूमि पर एक मंजिल से लेकर चार मंजिला तक अवैध निर्माण किया है। वहीं जिलाधिकारी कार्यालय से 500 मीटर की दूरी पर स्थित गोफियारा में 127 व्यक्तियों ने अतिक्रमण किया।

गोपियारा में राज्य सरकार के स्वामित्व वाली 2.641 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण और अवैध रूप से भवन का निर्माण किया गया है। उपजिलाधिकारी कार्यालय से अतिक्रमण की विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को 24 अगस्त 2022 को भेजी गई।, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अतिक्रमण को ध्वस्त करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं

जल विद्युत निगम ने जोशियाड़ा, ज्ञानसू व मनेरा के 57 अतिक्रमणकारियों को केवल नोटिस थमाकर कार्रवाई की इतिश्री की है। तीन अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध पीपीई एक्ट में न्यायालय में वाद दायर किया और एक के विरुद्ध सीआरपीसी के तहत एसडीएम न्यायालय में वाद दायर किया है। इसके अलावा अतिक्रमण को ध्वस्त करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकांश अतिक्रमणकारियों ने जल विद्युत निगम की भूमि पर पक्की दुकानें और मकान बना दिए हैं।

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