window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); विकास पर इस वित्तीय वर्ष में नगर विकास विभाग 100 करोड़ रुपये खर्च करेगा | T-Bharat
November 23, 2024

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विकास पर इस वित्तीय वर्ष में नगर विकास विभाग 100 करोड़ रुपये खर्च करेगा

लखनऊ, योगी कैबिनेट ने राज्य के छोटे शहरों को लाभ पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसले पर मुहर लगाई है। इस फैसले के अनुसार, प्रदेश सरकार 20 हजार से एक लाख तक की आबादी वाले 100 छोटे शहरों में ‘आकांक्षी नगर योजना’ के जरिए सुविधाओं का विकास करने जा रही है। इस योजना के जरिए मूलभूत शहरी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक संरचना के क्षेत्र में सुधार करते हुए रोजगार के नए अवसरों का सृजन किया जाएगा। इनके विकास पर इस वित्तीय वर्ष में नगर विकास विभाग 100 करोड़ रुपये खर्च करेगा।

लोगों का पलायन रोकने पर दिया जाएगा ध्यान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आकांक्षी नगर योजना के संचालन के लिए दिशा-निर्देश को हरी झंडी मिल गई है। इस योजना से नए आर्थिक अवसर खुलने के साथ ही लोगों का पलायन रुके इस पर ध्यान दिया जाएगा।

अर्थव्यवस्था सुधारने में मददगार होगी योजना

नीति में भविष्य में जरूरत के आधार पर संशोधन के लिए नगर विकास मंत्री को अधिकृत कर दिया है। योगी सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था वन ट्रिलियन डालर बनाने की दिशा में काम कर रही है। आकांक्षी नगर योजना इसमें मददगार साबित होगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में चल रही सरकारी योजनाओं को सुनियोजित शहरी विकास के लिए अच्छे ढंग से लागू करते हुए त्वरित प्रगति व सतत विकास कराना है।

‘थ्री-सी’ का प्रयोग कर सफल बनाई जाएगी योजना

योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसमें सांसद व विधायक निधि व अन्य संस्थाओं से सहयोग प्राप्त कर परियोजनाओं को चलाया जाएगा। ‘थ्री-सी’ यानी कनवर्जेंस, कोलेबरेशन और कंपटीशन का प्रयोग कर योजना को सफल बनाया जाएगा।

16 मानकों के आधार पर होगी मॉनिटरिंग

स्टेट अर्बन डिजिटल मिशन के आंकड़ों को एकत्र कर उसका प्रयोग करते हुए निगरानी, वित्तीय भौतिक प्रगति व गुणवत्ता सुधार किया जाएगा। नीति आयोग द्वारा निर्धारित 16 मानकों के आधार पर इन शहरों का चयन किया जाएगा। यह योजना 31 मार्च 2026 तक इन शहरों में लागू रहेगी, लेकिन मानीटरिंग डैशबोर्ड के माध्यम से 31 मार्च 2028 तक चलती रहेगी। इसके बाद नगर निकाय स्वयं से काम कराएंगे।

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