मुंबई, अजित पवार के बगावत के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जोड़-तोड़ का खेल जारी है। अजित पवार रविवार को शिंदे सरकार में 40 एनसीपी विधायकों के दावे के साथ शामिल हुए थे। इसी बीच, दो विधायक अजित पवार के खेमे से शरद पवार के पास लौट आए हैं।
अजित पवार के शपथ लेने के दो दिनों के भीतर ही सतारा के विधायक मकरंद पाटिल और उतरी कराड के विधायक बालासाहेब पाटिल ने उनका साथ छोड़ दिया। शरद पवार ने बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की थी। साथ ही उन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के पास क्रॉस-याचिकाएं दायर कीं गई है।
इधर, अजित पवार के बगावत के बाद शरद पवार ने सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। इसके जवाबी कदम में, अजीत के समूह ने एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जयंत पाटिल की जगह तटकरे को नियुक्त किया।
चाचा-भतीजे के बीच छिड़ी जंग
बता दें कि शरद पवार समूह ने विधानसभा अध्यक्ष को दो याचिकाएं भेजकर अजित पवार और उनके साथ शपथ लेने वाले आठ अन्य एनसीपी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की। इस पर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने विधानसभा अध्यक्ष से जयंत पाटिल और विधानसभा में विपक्ष के नेता नियुक्त किए गए जितेंद्र आव्हाड को अयोग्य घोषित करने के लिए कहा है।
हाल ही में एनसीपी में हुए फेरबदल में सुले के साथ प्रफ्फुल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया और तटकरे को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। शरद पवार ने ट्वीट किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उनके नाम एनसीपी के सदस्यों के रजिस्टर से हटा दिए गए हैं।
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