प्रदेश के जंगलों में अतिक्रमण कर बनाई गई 100 मजारें तोड़ दी गई हैं और कई निशाने पर हैं। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं वन भूमि पर धार्मिक स्थलों के नाम पर राज्यभर में एक हजार से अधिक अतिक्रमण हैं। प्रभागीय वनाधिकारियों को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश की वन भूमि पर अतिक्रमण कर तेजी से धार्मिक स्थलों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें भी मजारों की संख्या तेजी से बढ़ने से सरकार के कान खड़े हो गए हैं। इस मसले पर शासन के निर्देश के बाद वन मुख्यालय ने सभी आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों से धार्मिक स्थलों की जानकारी मांगते हुए अधिकारियों को इन्हें हटाए जाने के निर्देश दिए थे।
वन्य जीव विहार के 75 हेक्टेयर में अतिक्रमण
हाईकोर्ट भी इस मामले में राज्य सरकार और वन विभाग को कई बार फटकार लगा चुका है। विभाग के अधिकारियों का कहना है गढ़वाल मंडल में 2294 और कुमाऊं मंडल में 9490 हेक्टेयर वन क्षेत्र में अतिक्रमण है। इसके अलावा वन्य जीव विहार के 75 हेक्टेयर में अतिक्रमण है। अब तक लगभग 100 मजारें ध्वस्त की गई हैं, लेकिन किसी मंदिर को ध्वस्त नहीं किया गया है।
अब तेजी पकड़ेगा वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनी मजारों को हटाने का अभियान
वन मुख्यालय की ओर से पूर्व में वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को चिन्हित कर हटाने के निर्देश के बावजूद अब तक गिनती के कुछ धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया गया है। वन मुख्यालय ने अब मुख्य वन संरक्षक डा.पराग मधुकर धकाते को इसका नोडल अधिकारी बनाया है। धकाते के मुताबिक अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों के मामले में रेंज स्तर से रिपोर्ट मांगी गई है। इस संबंध में आज विभाग के अधिकारियों की बैठक भी र खी गई है। अधिकारियों को कहा गया है पहले अतिक्रमण और फिर इसे हटाए जाने की फोटो भेजी जाए। जीपीएस के माध्यम से भी इस तरह के स्थलों का पता लगाया जाए।
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