देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति के सदस्य द्वारा लगाये गये अनियमितता के आरोपों सहित सभी आरोपों की जांच उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों की देखरेख में गठित अलग-अलग समितियों से कराई जानी चाहिए। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि मन्दिर समिति के एक वर्तमान सदस्य द्वारा वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य मेरी अध्यक्षता वाली मन्दिर समिति पर विभिन्न अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए वर्तमान सरकार के काबिना मंत्री से शिकायत करते हुए जांच की मांग की गई तथा मंत्री द्वारा शिकायत का संज्ञान लेते हुए तत्काल जांच के आदेश भी जारी किये गये हैं जिसका मैं स्वागत करता हूं।
गणेश गोदियाल ने कहा कि स्वयं उनके द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के सहकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग में विभागीय मंत्री धनसिंह रावत के प्राश्रय में हुए तमाम घोटालों को उद्धृत करते हुए इन घोटालों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई थी, जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में न्याय सभी के लिए बराबर होना चाहिए सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन में यह आवश्यक है कि लगाये गये आरोपों पर दोहरा मापदण्ड नहीं अपनाया जाना चाहिए तथा शिकायत की तटस्थ भाव से जांच एवं तद्नुसार कार्रवाई होनी चाहिए, जिससे कि समाज का लोकतांत्रिक राजनीति मूल्यों एवं राजनीतिज्ञों पर विश्वास बना रहे। उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलकर उनसे पत्र के माध्यम से स्वयं पर लगे आरोपो सहित सभी मामलों की जांच की मांग करेंगे। गणेश गोदियाल ने अपने कार्यकाल मे मंन्दिर समिति के माध्यम से कराये गये कार्यों का भी क्रमवार उल्लेख किया तथा यह भी कहा कि यदि वे जांच में दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य मन्दिर समिति पर अनियमितता के आरोप निन्दनीय हैं। उन्होंने कहा कि इस सारे षड़यंत्र के पीछे जिस व्यक्ति का हाथ है उसपर भ्रष्टाचार के अनेकों अनेक आरोप लगे हैं यह जग जाहिर है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाली भाजपा सरकार द्वारा गठित वर्तमान मन्दिर समिति विश्व की आस्था के प्रतीक केदारनाथ मन्दिर के स्वरूप के साथ छेड-छाड की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के विरोध के बावजूद मन्दिर के साथ इतना बडा खिलवाड क्यों किया जा रहा है यह सोचनीय विषय है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समिति द्वारा मन्दिर के पटांगन, प्रकार एवं प्रवेश द्वार इत्यादि में बदलाव करने की बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यदि मुख्य विपक्षी दल की बातों एवं सुझावों को विद्वेष की भावना से नहीं बल्कि सहयोगात्मक, सकारात्मक एवं रचनात्मक सुझावों के रूप में देखा होता तो शायद केदारनाथ धाम की तस्वीर कुछ और होती। उन्होंने कहा कि श्रीबद्री-केदार क्षेत्र में मंदाकिनी एवं अलकनन्दा नदी के बीच जितने भी मन्दिर एवं आस्था के केन्द्र हैं वे सभी नागरशैली में बने हुए हैं। विषेशकर केदारनाथ जी का मन्दिर तो नागरशैली की ही उपशैली छत्रशिखर शैली से बना हुआ है जिसका अपना एक स्वरूप होता है परन्तु भाजपा सरकार द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों में आज की तारीख में केदारनाथ मन्दिर का न तो कोई प्रकार रह जायेगा और न प्रवेश द्वार। किसी भी मन्दिर का आंगन का प्रकार भी मन्दिर की ऊंचाई से बडा है परन्तु केदारनाथ धाम में इन सभी नियमों को ताकपर रखा गया है। साथ ही यह भी सोचनीय विषय है कि भाजपा सरकार द्वारा गुजरात की जिस कम्पनी से केदारनाथ मन्दिर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है उसका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। पत्रकार वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष प्रशासन एवं संगठन मथुरादत्त जोशी, मीडिया पैनलिस्ट एवं निवर्तमान मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि, मीडिया पैनलिस्ट एवं निवर्तमान गढवाल मण्डल प्रभारी गरिमा दसौनी, प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी, मीडिया पैनलिस्ट अमरजीत सिंह, मनीष नागपाल आदि उपस्थित थे।
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