ऋषिकेश कांवड़ यात्रा चरम पर है। कांवड़ियों के भीड़ तीर्थनगरी में उमड़ने लगी है। कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले तीनों जिलों के जिलाधिकारियों ने सड़कों से लावारिस पशुओं को शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे, लेकिन निकाय अधिकारियों ने जिलाधिकारियों के आदेश को ठेंगा दिखा दिया। तीर्थनगरी ऋषिकेश, उससे सटे नगर पालिका मुनिकीरेती ढालवाला और नगर पंचायत स्वर्गाश्रम जौंक में सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशु कांवड़ियों के लिए दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। जिलाधिकारी की बैठक में निकायों के अधिकारियों ने पशुओं को शिफ्ट करने को लेकर हामी भरी थी, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ।
नवनियुक्त जिलाधिकारी सोनिका ने नगर निगम के अधिकारियों को लावारिस पशुओं को कांजी हाउस या गोशालाओं में शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक के दौरान उन्होंने हाइवे और आंतरिक सड़कों से लावारिस पशुओं को शिफ्ट कर गोशाला में भेजने के निर्देश दिए थे। बैठक में नगर पालिका के अधिकारियों ने पशुओं को शिफ्ट करने की हामी भरी, लेकिन एक भी पशु शिफ्ट नहीं हुआ। स्थिति यह है कि चौदह बीघा में नया पुल लावारिस पशुओं की शरण स्थली बन गया है। इनमें से कुछ पशु ऐसे भी हैं जो पालतू हैं। गोशाला रोड पर पुराना आईटीआई, कैलाश आश्रम के पास पशु घूम रहे थे। यहां पर वन विभाग की आवासीय कॉलोनी से भी पशुओं को सड़क पर छोड़ दिया जाता है।
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