देहरादून, आजखबर। उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने पूर्व बीमारी से बीमा क्लेम की बीमारी का सम्बन्ध न होने पर बीमा क्लेम निरस्त करने को सही नहीं माना तथा बीमा कम्पनी की अपील निरस्त कर दी। जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग उधमसिंह नगर ने पूर्व बीामारी की संभावना के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त करने को सेवा में कमी मानते हुये बीमा कम्पनी को उपभोक्ता को 2 लाख 19 हजार 619 रूपये के भुगतान का आदेश दिया है। इसमें 5 हजार वाद व्यय तथा 10 हजार मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति भी शामिल है। इसके अतिरिक्त बीमा कम्पनी को 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से वाद दायर करने से भुगतान की तिथि तक का ब्याज भी भुगतान करने को आदेशित किया गया था राज्य आयोग ने इस निर्णय व आदेश को बिल्कुल सही मानते हुये उसकी पुष्टि कर दी।
काशीपुर के विनोद कुमार भल्ला की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा गया था कि परिवादी ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 के काशीपुर कार्यालय से एक मेडी क्लेम पालिसी रू. 11287 का प्रीमियम भुगतान करके करायी। इसके अन्तर्गत परिवादी की बीमित राशि ढाई लाख तथा उसकी पत्नि व पुत्र की डेढ़-डेढ़ लाख रूपये थी। परिवादी को बीमा अवधि में ह्रदय रोग होने पर उसने काशीपुर व बरेली के अस्पतालों में इलाज कराया जिस पर 2,19,619 का खर्च हुआ जिसके भुगतान के लिये बीमा कम्पनी को क्लेम प्रस्तुत किया। समय सीमा के बाद मण्डलीय प्रबंधक ने अपने पत्र दिनांक 12-10-2012 से पालिसी की क्लॉज 4.1 के अन्तर्गत पालिसी के प्रारम्भ में पूर्व बीमारी तथा क्लॉज 4.3 के अन्तर्गत हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के इलाज का क्लेम नहीं दिया जा सकता सूचित किया। जबकि परिवादी को न ही कोई पूर्व बीमारी थी और न ही हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी का कोई क्लेम किया गया है। परिवादी ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से नोटिस भिजवाया जिस पर भी कोई कार्यवाही न करने पर परिवाद दायर किया गया।
बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि परिवादी की बीमारी का जब इतिहास जाना गया तब ज्ञात हुआ कि परिवादी को पूर्व से डायबिटीज तथा ह्रदय रोग था। हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज की बीमारी का इलाज खर्च पालिसी की शर्तों के आधार पर नहीं मिल सकता है। इसलिये बीमा क्लेम को सही खारिज किया गया है।
जिला उपभोक्ता फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष आर0डी0पालीवाल तथा सदस्या नरेश कुमारी छाबड़ा तथा सदस्य सबाहत हुसैन खान ने परिवादीं के अधिवक्ता नदीम उद्दीन के तर्कों से सहमत होते हुये अपने निर्णय में लिखा कि बीमा कम्पनी ने चिकित्सक का यह प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है कि परिवादी की पूर्व बीमारी के कारण ही स्टेन्टिंग की गयी। परिवादी ने हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज के इलाज का कोई क्लेम नहीं मांगा है उसने केवल अपने ह्रदय रोग की स्टेन्टिंग में जो खर्च आया उसके लिये क्लेम प्रस्तुत किया है। इस प्रकार बीमा कम्पनी द्वारा केवल सम्भावना के आधार पर परिवादी के क्लेम को खारिज करके सेवा में कमी की गयी है। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कम्पनी को बीमा क्लेम की धनराशि दो लाख उन्नीस हजार छः सौ उन्नीस, 7 प्रतिशत वार्षिक की दी से साधारण ब्याज सहित जो परिवाद करने की तिथि 21-05-2013 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा का भुगतान एक माह के अन्दर करने का आदेश दिया है। साथ ही मानसिक व आर्थिक क्षति के लिये रू. 10 हजार तथा वाद व्यय रू. 5 हजार का भी भुगतान करने का आदेश दिया है। बीमा कम्पनी ने इस आदेश के विरूद्ध अपील सं0 30/2018 राज्य उपभोक्ता आयोग को कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस डी.एस. त्रिपाठी तथा सदस्य उदय सिंह टोलिया की पीठ ने अपने निर्णय में पूर्व बीमारी का सम्बन्ध ह्रदय रोग के इलाज से न होना मानते हुये जिला आयोेग/फोरम के आदेश को पूर्णतः सही माना।
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