हल्द्वानी। नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून की सहस्त्रधारा रोड के चैड़ीकरण के लिए 2057 पेड़ों के प्रस्तावित कटान के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने पेड़ों के कटान पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार सहित अन्य को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में देहरादून निवासी और समाज सेवी आशीष गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि देहरादून जोगीवाला से खिरसाली चैक होते हुए सहस्त्रधारा मार्ग के प्रस्तावित चैड़ीकरण के लिए 2057 पेड़ों का कटान किया जाना है। देहरादून घाटी और शहर पहले से ही जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं और हर जगह हीट आइलैंड विकसित हो रहे हैं। इससे तापमान में बढ़ोतरी भी देखी जा रही है। याचिका में कहा कि एक ओर सहस्त्रधारा अपने शीतल जल और पर्यावरण के लिए जाना जाता है, दूसरी ओर इस तरह के प्रस्तावित कटान से पूरा सहस्त्रधारा तक का रास्ता बंजर हो जाएगा। इसके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए पेड़ों के कटान पर रोक लगाई जाए।
इससे पहले कोर्ट ने पेड़ांे के कटान पर लगी रोक को हटा दिया था। सरकार को निर्देश दिए थे कि जरूरी पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। मार्ग के दोनों तरफ पेड़ लगाएं जाएं। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर कहा कि पेड़ों के कटान से जलवायु परिवर्तन और पानी की समस्या उत्पन्न होगी। रोड के चैड़ीकरण के लिए कोई दूसरा विकल्प निकाला जाए और पेड़ कटान पर रोक लगाई जाए। सरकार की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट की अनुमति पर यूकेलिप्टिस के कई पेड़ काट दिए गए हैं और कई कीमती पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जा रहा है।
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