देहरादून: चुनाव परिणाम आने में भले ही अभी तीन दिन का समय शेष है लेकिन संभावित नतीजों को लेकर सूबे की राजनीति का पारा चढ़ता ही जा रहा है। किसी भी दल को बहुमत के लिए जरूरी 36 सीटें न मिल पाने के अंदेशे ने मतगणना से पूर्व ही जोड़-तोड़ की खबरों को हवा मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के दून में आते ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। 2016 में कांग्रेस में हुई टूट-फूट और सत्ता परिवर्तन की कोशिश में अहम भूमिका निभाने वाले विजयवर्गीय की दून में उपस्थिति और भाजपा नेता महेंद्र भट्ट के उस बयान जिसमें उन्होंने कांग्रेस के कई जिताऊ प्रत्याशियों के भाजपा के संपर्क में होने की बात कही गई है, को अति गंभीरता से लेते हुए कांग्रेसी नेताओं ने और अधिक सतर्कता बरतने की बात कही है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी पार्टी के नेताओं को सतर्क करते हुए कहा कि उन्हें जोड़ जुगाड़ करने वालों पर निगाह रखने की जरूरत है। उनका कहना है कि भाजपा के नेताओं का इतिहास रहा है कि वह अपना खेल बिगड़ते देख किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिदायत दी है कि वह सावधान रहें, साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के अंदर बढ़ती बेचैनी और कवायद इस बात का साफ संकेत है कि भाजपा चुनाव हार रही है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। भले ही चुनाव परिणाम से पहले भाजपा कुछ भी दावा करती रही हो लेकिन जमीनी सच्चाई को भाजपा नेता समझ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने अब की बार 60 पार का नारा दिया, लेकिन मतदान के बाद भाजपा ने 60 पार से किनारा कर लिया और अब वह अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने की बात कर रहे हैं। जो उनके टूटते मनोबल को ही दर्शाता है। उन्हें मतदान के बाद अपनी कमजोर स्थिति का आभास हो गया है यही कारण है कि अब जोड़-तोड़ की संभावनाओं पर वह निर्भर होते दिख रहे हैं।
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