हरिद्वार,(Amit kumar): सन्तों के साथ प्रेस कान्फेंस करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि जी महाराज ने बताया कि श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम, पो0-गुरुकुल कांगडी, हरिद्वार की स्थापना आश्रम के महन्तों ने संस्कृत एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु सन् 1965 में आश्रम की भूमि पर की थी। धीरे-धीरे यह महाविद्यालय भारत सरकार की आदर्श योजना के अन्तर्गत आ गया, जिसके लिये उसे केन्द्र सरकार से 95 प्रतिशत तथा मातृसंस्था से पाँच प्रतिशत वित्त उपलब्ध होने लगा। महाविद्यालय की दो समितियाँ आदर्श योजना के अन्तर्गत बनाई गयी, एक तो राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जनकपुरी, दिल्ली के कुलपति द्वारा मनोनीत चैयरमेन के अन्तर्गत काम करती है, जिसमें चैयरमेन के अतिरिक्त राज्य सरकार, मान्यता देने वाला विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, महाविद्यालय का वरिष्ठ शिक्षक और पदेन प्राचार्य तथा जनकसमिति से एक-एक सदस्य मनोनीत करके भेजा जाता है। यह समिति पूर्णतः अस्थायी होती है, मात्र तीन वर्षों के लिये होती है और यह पञ्जीकृत नहीं होती है। कार्यकाल के मध्य में से भी चैयरमेन तक को हटा दिया जाता है, जैसे कि कुछ दिन पूर्व डा महावीर अग्रवाल के द्वारा मातृसंस्था को अवैधानिक रूप से कब्जा करने के आरोप में तथा एफआईआर दर्ज हो जाने के कारण इन्हें बीच में ही हटा दिया गया था। दूसरी समिति जनकसमिति होती है, जिसने महाविद्यालय को स्थापित करने के लिये अपनी जमीन दी हुई होती है, जिसको जनकसमिति या संस्थापक समिति या पेरेंट बोडी या मातृसंस्था भी कहते हैं। यह समिति अपना अध्यक्ष स्वयं चुनाव करके चुनती है और मन्त्री, कोषाध्यक्ष तथा सदस्यों का चयन करके चिट फन्ड सोसायटी हरिद्वार में पाँच-पाँच वर्षों के लिये यथासमय पञ्जीकृत करायी जाती है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से तिगडम करके सन् 2016 में डा0 महावीर अग्रवाल जब महाविद्यालय के चैयरमेन मनोनीत होकर आये तब इससे पूर्व आश्रम के महन्त एवं प्रबन्धक स्वामी हंसप्रकाश जी महाराज सन् 2010 से सन् 2015 तक महाविद्यालय की जनकसमिति का रजिस्ट्रेशन पाँच वर्षों के लिये करा चुके थे और वे दुर्भाग्य से जनवरी 2013 में ब्रह्मलीन हो गये। जनकसमिति का रजिस्ट्रेशन 2016 में कराना था, मौके का फायदा उठाकर डा0 अग्रवाल ने नफानजायज कमाने के लिये षड्यन्त्र पूर्वक कूटरचना करते हुए प्रबन्ध समिति के सदस्यों को मातृसंस्था के रूप में दिखाकर इसका नवीनीकरण करा लिया, जिससे श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम हरिद्वार के पेरेन्टस् बोडी के अध्यक्ष तथा प्रबन्धक के स्थान पर अपना तथा बिनय बगई, अजय चोपड़ा, शैलेश कुमार तिवारी और भोला झा आदि साथियों के नाम पञ्जीकृत कर लिये गये। ऐसा नहीं है कि संस्था पर कब्जा करने का यह पहला प्रयास हो, इससे पूर्व भी कुछ प्राचार्यों के द्वारा बीच-बीच में इस महाविद्यालय पर कब्जा करने का निन्दनीय प्रयास किया गया। किन्तु सजग और सावधान महामण्डलेश्वरों के होते हुए वे इस कार्य में सफल नहीं हो पाये। किन्तु मनोनीत चैयरमेन के द्वारा यह प्रथम कुकृत्य है। हाँ, ऐसा भी नहीं है कि डा0 महावीर अग्रवाल के द्वारा यह पहली जालसाजी और षड्यन्त्र है, गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलसचिव पद पर रहते हुए भी इन्होंने संस्था की विशाल तथा उपयोगी भूमि को बेचने का घृणित कार्य किया था, इनकी उपाधियों को लेकर भी शासन-प्रशासन में अनेक बार शिकायतें हुईं और समय-समय पर होती भी रहती हैं, किन्तु जातिवाद और भ्रष्टाचार के चलते ये सभी कुकृत्यों को दबाने में सफल रहे। प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के महन्त तथा प्रबन्धक महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश जी महाराज को जब महाविद्यालय के कब्जाने की यह जानकारी प्राप्त हुई तब उनके द्वारा एक शिकायत दर्ज करायी गयी, जिससे थाना कोतवाली में एक मुकद्दमा अपराध संख्या 270 सन् 2019 अभियुक्तों के विरुद्ध अन्तर्गत धारा 419, 420, 465, 467, 468, 471, एवं 120 बी, भारतीय दण्ड संहिता के तहत कोतवाली ज्वालापुर जिला हरिद्वार में दिनांक 14.06.2019 को महावीर अग्रवाल, पेरेन्टस् बोडी के अध्यक्ष तथा बिनय बगई, अजय चोपड़ा, शैलेश कुमार तिवारी और भोला झा आदि साथियों के दर्ज हो गया। महावीर अग्रवाल, भोला झा, शैलेश कुमार तिवारी आदि कुछ अभियुक्तों ने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल से अरेस्टिंग स्टे लिया हुआ है।
डा0 बलराम गिरि जी महाराज ने बताया कि दिनांक 22.07.2021 को जाँच अधिकारी नन्दकिशोर ग्वाडी को प्रभारी प्राचार्य निरञ्जनमिश्र के इस कुकृत्य में संलिप्त होने के पर्याप्त सबूत पाये और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। शेष अभियुक्त गण महावीर अग्रवाल, भोला झा, बिनय बगई, अजय चोपड़ा, शैलेश कुमार तिवारी आदि फरार चल रहे हैं, जिनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया चल रही है।
महन्त सत्यानन्द जी महाराज ने एक संस्था पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि इस संस्था की दृष्टि में संस्था को कब्जाने वाले महावीर अग्रवाल, भोला झा तथा निरञ्जन मिश्रा ही संस्कृत के विद्वान् हैं और सब के सब मूर्ख घूम रहे हैं। व्यवस्था को बिगाडने में इनकी आवाज मुखर हो जाती है। आजकल अपने रिश्तेदार आरोपी निरञ्जन मिश्रा को जेल से बाहर निकालने के लिये इन्होंने भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के गेट पर अबोध छात्रों और कुछ रिटायर अध्यापकों तथा कुछ शिक्षकों को लालच देकर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया हुआ है।
डा0 राधिगिरि जी महाराज व डा0 दिनेशदास जी महाराज ने कहा कि जहाँ प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के महन्त तथा प्रबन्धक महामण्डलेश्वर रूपेन्द्र प्रकाश जी ने कहते हैं कि हम अपने महाविद्यालय के छात्रों को निःशुल्क छात्रावास, भोजन, पुस्तक वस्त्र आदि उपलब्ध करायेंगे, वहां इन्हें वे कब्जाधारी लगते हैं और जो महावीर अग्रवाल, निरञ्जन मिश्र, भोला झा, शैलेश तिवारी आदि कब्जाधारियों का समूह महाविद्यालय को अपने नाम रजिस्टर्ड करा चुके हैं, वे इन्हें ईमानदार तथा विद्वान् दिखायी देते हैं।
युवा भारत साधु समाज के सभी संत साथ ही यह भी मांग करता है कि निरञ्जन मिश्र को जब आपने जेल भेज दिया तो अन्य आरोपियों को भी शीघ्रातिशीघ्र पकड़कर इस विद्या की नगरी में पुनः शैक्षणिक कार्यों की गति बढ सके।
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