window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); पटरियों पर मिली लाशें, सालों बाद खुला राज | T-Bharat
September 22, 2024

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पटरियों पर मिली लाशें, सालों बाद खुला राज

बेंगलुरु: बेंगलुरु में सात लोगों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने ऐसी तीन हत्याओं की गुत्थी सुलझा ली है, जिनमें शवों को रेलवे पटरियों पर फेंककर वारदात को खुदकुशी का मामला बताने की कोशिश की गई थी. मंगलवार को पुलिस ने शेखर, वेंकटेश, कुमार, गणेश, नागेंद्र कुमार, राजू और नागेंद्र को सुरेश नामक एक व्यक्ति की साल 2014 में की गई हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया. पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया कि 2001 में उन्होंने एक अन्य व्यक्ति येलप्पा की भी हत्या की थी.

इनमें से एक आरोपी वेंकटेश का येलप्पा की पत्नी के साथ अफेयर था और यही उसकी (येलप्पा की) हत्या का कारण बना. हत्या के बाद शव को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था. पुलिस शव की पहचान नहीं करा सकी और इसे खुदकुशी का मामला बता दिया गया. इस गिरोह ने साल 2002 में रमेश नामक एक शख्स की हत्या भी इसी तरीके से कर दी. उसकी हत्या के पीछे वजह वेंकटेश की पत्नी का रमेश के साथ अफेयर होना था. रमेश का शव भी पटरी पर पाया गया और इसे भी खुदकुशी का ही केस माना गया.

गिरोह का तीसरा शिकार बना रमेश का भाई सुरेश, जो कथित रूप से अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था. सुरेश की गला घोंटकर हत्या की गई थी और उसके शव को शहर के दक्षिणी इलाके केंगरी में रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था. सुरेश की पत्नी मुनिरत्ना अपने पति की गुमशुदगी के बारे में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंची. जांच के दौरान उसने अपने पति के शव की पहचान की. इसके बाद पुलिस ने उन लोगों की तलाश शुरू की, जिनसे सुरेश अपनी हत्या से पहले के दिनों में मिला था. पुलिस ने उन लोगों की भी खोज की, जिनसे सुरेश का झगड़ा हुआ था.

इसी जांच के आगे बढ़ने के दौरान वेंकटेश और उसके गिरोह तक पुलिस पहुंचने में सफल रही. तीन-तीन हत्याओं के बावजूद लंबे समय तक हत्यारों के पुलिस की पकड़ से दूर रहने को लेकर पुलिस की किरकिरी हो रही है. पुलिस का दावा है कि सभी शव इतनी बुरी हालत में मिले थे कि उन्हें देखकर हत्या का संदेह नहीं हो पाता था. हालांकि पुलिस यह कबूल करती है कि यह कोई ठोस दलील नहीं है. बेंगलुरु के पुलिस प्रमुख प्रवीण सूद ने कहा, अब आगे से हमें अप्राकृतिक मौत के मामलों को ज्यादा सावधानीपूर्वक देखना होगा. हमने पोस्टमार्टम रिपोर्ट हासिल कर ली है और आगे की जांच कर रहे हैं. इन सात आरोपियों में से शेखर और कुमार हत्या के एक पुराने मामले में भी आरोपी हैं और इन दिनों जमानत पर जेल से बाहर थे.

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