हरिद्वार: माना कि कोरोना एक कष्टदायक बीमारी है, उसका संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है। उसके प्रति पूरी सावधानी भी जरूरी है पर उसके नाम पर आमजन का उत्पीड़न, शोषण और लोगों की आस्था पर चोट प्रजातन्त्र पर दुर्भाग्यपूर्ण संकेत है। उक्त वक्तव्य समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता विशेष आमंत्रित सदस्य व नैनीताल लोकसभा क्षेत्र प्रभारी कुँवर दुर्गेश प्रताप सिंह ने कही।
कुँवर दुर्गेश ने कहा कि हर एक व्यक्ति को उसका जीवन उसके लिए प्रिय है और हर नागरिक उसके प्रति जागरूक व गम्भीर भी है। हर बात पर सिर्फ कानून का डर, पुलिस प्रशासन का भय, जिला प्रशासन की जिद्द और कोरोना की नासमझ वाली गैर्व्यवहारिक गाइडलाइंस का हवाला देकर लोगों का जनजीवन प्रभावित किया जा रहा है। बिहार राज्य व उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र का लोक महापर्व छठ पूजा एक अत्यंत महत्वपूर्ण आस्था का पर्व है, जो गंगा घाट व अन्य पवित्र नदियों के घाट पर सूर्यदेव को अर्घ देकर मनाया जाने वाला कठिन तप वाला पर्व है। इस महापर्व पर शासन व प्रशासन को पूरी जिम्मेदारी के साथ व्यवस्था देनी चाहिए थी जो नहीं दी गयी और अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए कोरोना के नाम पर घाटों पर ना जाने की पाबंदियां लगाना सरकार की दमनकारी नीति को प्रदर्शित करता है। वास्तव में गाइडलाइंस हैं क्या ? ये अबतक साफ नहीं हो पाई है और उसके नाम पर आमजन के जीवन जीने की पूरी आजादी छीनी जा रही है। पूरे शहर में जनजीवन अस्त व्यस्त है, जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था व सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, सड़क व जलनिकासी व्यवस्था जर्जर हाल में है जो प्रशासन व शासन में बैठे जिम्मेदार लोगों की दिखाई नहीं देती। अभी तक कुम्भ 2021 को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं है और उसके नाम पर जो कार्य हो रहे हैं उसमें कितनी ईमानदारी और कितनी गम्भीरता है ये आमजन भी सब समझ रही है पर कानून का डर दिखा पब्लिक सर्वेंट द्वारा पब्लिक की आवाज को दबाया जा रहा है जो प्रजातंत्र के लिए अशुभ संकेत है ।जो जनता सत्ता देती है उसी जनता को सत्ता की हनक दिखाना , उसके आस्था और पर्व को खुशनुमा माहौल में मनाने से रोकना और परेशान करना उचित नहीं है । आप कानून व्यवस्था को सुधारने के नाम पर जिस तरह से आमजन को प्रताणित कर रहे हैं कहीं ऐसा न हो कि लोगों के दिलोदिमाग से कानून के प्रति बना हुआ विश्वास समाप्त ना कर दे। समाजवादी पार्टी शासन व प्रशासन द्वारा छठ पूजा महापर्व पर घाटों पर पूर्ण प्रतिबंध की घोर निन्दा करते हुए पूजा, आस्था व समस्त त्योहारों को मनाने वाली भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस को सार्वजनिक करने की मांग करती है जिसको जानने व समझने का भारत के हर नागरिक को कानूनी अधिकार है।
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