ऋषिकेश,(Amit kumar): परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाॅ जगदीश चन्द्र बसु जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की।
डाॅ बसु ने भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा पुरातत्व का गहन अध्ययन किया। वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया। वनस्पति विज्ञान में उन्होनें कई महत्त्वपूर्ण खोजें की। साथ ही वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्ता थे जिन्होंने एक अमरीकन पेटेंट प्राप्त किया। उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता माना जाता है। वे विज्ञान कथाएँ भी लिखते थे और उन्हें बंगाली विज्ञानकथा-साहित्य का पिता भी माना जाता है।
डाॅ बसु ने अपने प्रयोग से सिद्ध किया कि अलग अलग परिस्थितियों में पौधों के सेल मेम्ब्रेन पोटेंशियल के बदलाव का विश्लेषण करके वे इस नतीजे पर पहुंचे कि पेड-पौधे संवेदनशील होते हैं, वे दर्द महसूस कर सकते हैं, स्नेह अनुभव कर सकते हैं। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि विकास के नाम पर जंगलों को काटा जा रहा है और जिन पौधों का रोपण किया जा रहा है, कई स्थानों पर उनका सही तरीके से संरक्षण नहीं हो रहा। जंगल को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिये 200 से 300 वर्ष लग जाते हैं और जिस गति से जंगल काटे जा रहे हैं वह वास्तव में चिंता का विषय है। जनसमुदाय, युवाओं और बच्चों में पेड़-पौधों के प्रति संवेदना जगाने के लिये डाॅ बसु के प्रयोग से जोड़ना होगा।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हाल ही में पूरे भारत ने दिवाली एवं छठ के पर्वों को बड़ी ही श्रद्धा भावना से मनाया। दिवाली तो रौशनी का त्योहार है और छठ पूजा भगवान सूर्य की उपासना और आराधना का पर्व है। पर्वो के अवसर पर अपनी खुशियों को व्यक्त करने के लिये हमने पटाखे फोड़कर पर्व मनाना शुरू कर दिया। पटाखे फोड़ने से होने वाले गंभीर परिणामों पर विचार किये बिना कि क्रैकर्स में कितने जहरीले रसायन होते हैं, इसमें पोटेशियम क्लोरेट पाउडर एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, बेरियम, तांबा, सोडियम, लिथियम, स्ट्रोंटियम आदि के लवण पाये जाते हैं और धमाके के साथ-साथ इन रसायनों के जलने पर जहरीला धुआं भी निकालता हैं। इस धुएं, धमाके और शोर का बच्चों, वृद्धजनों, पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिये सभी को हरित पर्व मनाना चाहिये। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या समुदाय को मानने वाला हो, वह चाहे कोई त्योहार, पर्व, जन्मदिवस, न्यू ईयर या अन्य कोई भी उत्सव मनायें, वह हरित पर्व और हरित उत्सव हो तभी हमारी आगे आने वाली पीढ़ियां स्वस्थ रह सकती है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि जरा सोचो कि पटाखे फोड़ने से जो धमाका होेता है उससे किसे खुशी मिलती है? शोर किसे प्रसंद है ? फिर क्यों न सब मिलकर पर्यावरण के अनुकूल पर्वो को मनायें, जिससे हवा की गुणवत्ता भी बनी रहेगी। आईये सभी संकल्प लें कि हम हर पर्व हरित पर्व-स्वस्थ पर्व के रूप में मनायेंगे तथा पर्वो के अवसर पर पौधों का रोपण करेंगे व जल का संरक्षण करेंगे। आईये हम सभी डाॅ बसु की पुण्यतिथि पर पेड़-पौधों के दर्द को समझने का प्रयास करें उनकीं संवेदना को जाने और पौधों के रोपण और संवर्द्धन हेतु योगदान प्रदान करे।
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