window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); पर्व और त्योहार नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है :पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज | T-Bharat
September 25, 2024

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पर्व और त्योहार नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है :पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

पर्व और त्योहार नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

पर्व और त्योहार नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

पर्व और त्योहार नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
पर्व और त्योहार नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है – पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कार्तिक माह की पवित्रता और आध्यात्मिक महत्व के विषय में संदेश देते हुये कहा कि 12 महिनों में कार्तिक माह आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र माह माना गया है, इसकी शुरूआत शरद पूर्णिमा से होती है तथा समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहते हैं। कार्तिक माह की लगभग सभी तिथियों का विशेष महत्व है परन्तु करवा चैथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, रूप चर्तुदशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चर्तुदशी आदि तिथियां सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण तिथियां है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कार्तिक माह कि देव उठनी या प्रबोधिनी एकादशी का भी विशेष आध्यात्मिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चार महीनें की निद्रा के पश्चात जागृत अवस्था में आते हैं इसलिये प्रबोधिनी एकादशी के पश्चात से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक महीने में किया गया जप, दान, पूजा-.पाठ तथा पवित्र नदियों में सूर्योदय से पहले स्नान का बहुत ही महत्व होता है। इस माह में दीपदान का भी विधान है, दीपदान मंदिरों में, घरों में, पवित्र स्थानों और नदियों के तटों पर किया जाता है। साथ ही पूज्य संतों एवं ब्राह्मण भोजन, गाय दान, तुलसी दान तथा अन्न दान का भी विशेष महत्व होता है।
कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिय हैं इसलिये तुलसी की पूजा और आराधना करना अभिष्ट फलदायी होता है। वैसे तो शास्त्रों में उल्लेख है कि स्नान के पश्चात भगवान सूर्य और तुलसी को जल अर्पित करना विशेष फलदायी होता है परन्तु कार्तिक के महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा भगवान सूर्य को जल अर्पित करना अति उत्तम होता है। तुलसी के पत्तों का उपयोग चरणामृत में भी किया जाता है क्योंकि वह रक्त शोधक होते हैं। तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में रोपण और दान भी दिया जाता है। तुलसी के पौधे के पास सुबह.शाम दीया भी जलाया जाता है। अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। तुलसी के पौधे से न केवल घर का वातावरण शुद्व होता है बल्कि रोग दूर होते हैं।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हमारे पर्व और त्योहार हमें नैसर्गिक सौन्दर्य को बनाये रखने तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने का संदेश देते है। आईये इस पवित्र कार्तिक माह में गंगा स्नान के साथ गंगा सहित सभी पवित्र नदियों को प्लास्टिक मुक्त करने का संकल्प लें।

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