ऋषिकेश,(Amit kumar): विश्व खाद्य दिवस 16 अक्तूबर को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य है कि दुनिया को वर्ष 2030 तक भूख से मुक्त बनाने के लिये सतत प्रयास किया जाये। साथ ही महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से मुक्ति कर एक स्वस्थ भविष्य का निर्माण किया जाये।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में कुपोषण एक मुख्य कारण है। खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार भारत में लगभग 194.4 मिलियन लोग (कुल जनसंख्या का 14.5 प्रतिशत) अल्पपोषित हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2019 में भारत ने 102वीं रैंक हासिल की थी जो कि एक चितंन का विषय है।
स्वामी चिदानन्द सरसवती जी ने कहा कि पोषणयुक्त आहार स्वस्थ रहने के लिये एक आवश्यक तत्त्व है। पारंपरिक अनाज (कीनोआ, ज्वार, जौ, बाजरा, मक्का आदि) का उपयोग वर्तमान समय में कम किया जा रहा है, इन्हें उपयोग में लाया जाना जरूरी है क्योंकि यह अनाज पोषक तत्वों से युक्त है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे जंक फूड की ओर बढ़ रहे हैं, उन्हें जंक फूड से जैविक फूड की ओर मोड़ने के लिये जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिये। उन्हें हैल्थी लंच बाक्स, राइट फूड, राइट फूड राइट ग्रोथ जैसे जागरूकता अभियानों से जोड़ना होगा।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कोविड-19 के समय लगभग पूरी दुनिया ने अनेक समस्याओं का सामना किया, उसमें खाद्य समस्या एक बड़ी समस्या थी। भारत में हमारे मजदूर भाईयों और उनके परिवार वालों नेेेे सबसे अधिक खाद्य की समस्याओं का सामना किया। अच्छी बात यह है कि समाज और सरकार ने मिलकर कोरोन काल में मजबूती से आगे आकर इन समस्याओं का समाधान किया। हमें अपनी आगे आने वाली युवा पीढ़ी को संस्कारित करना होगा ताकि वे अन्न की बर्बादी न करे। जंक फूड से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ उन्हें पौष्टिक भोजन का महत्व समझाना होगा, तभी हम वर्ष 2030 तक भूख से मुक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर भरण-पोषण के लिये भोजन की कमी नहीं है, परन्तु जिस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है समस्यायें इसलिये उत्पन्न हो रही है। हमें सतत, सुरक्षित और जरूरत के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को अपनाना होगा। कोरोना वायरस ने हमें सिखा दिया कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिये प्राकृतिक जीवन और शुद्ध शाकाहारी भोजन कितना जरूरी है। आईये संकल्प लें कि हम अन्न की बर्बादी नहीं करेंगे तथा जंक फूड नहीं बल्कि जैविक फूड की अपनायेंगे।
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