आत्मबोध हो जाता उसको
परमात्म याद में रहता है जो
आदि,मध्य,अंत का ज्ञान
सहज रूप में पा जाता वो
यथार्थ जीवन जीता है जो
व्यर्थ उसे कभी भाता नही
विकारो से सदा दूर रहता
पवित्र सहज बन जाता वो
ईश्वरीय ज्ञान हो जाता जिसको
जनजन की सेवा करने लगता
पुरुषार्थ सदा ही करता रहता
परमात्मा से रूबरू हो जाता वो।
—–श्रीगोपाल नारसन
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