Haridwar:निवेदन इस प्रकार है कि उत्तराखंड के उच्च शिक्षा संस्थानों में पिछले 4 माह से शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। जो यूजीसी/ एनसीटीई के नियमों का खुला उल्लंघन है ।जांच का विषय यह भी है कि जब उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा विद्यार्थीयों से पूरे वर्ष की फीस सत्र आरंभ में ही ले ली जाती है तो फिर शिक्षकों एवं कर्मचारियों का वेतन शिक्षा संस्थानों द्वारा क्यों नहीं दिया जा रहा है ?
वैश्विक बीमारी कोरोनावायरस से देश का हर परिवार प्रभावित है। वहीं दूसरी ओर इन शिक्षा संस्थानों में कार्य करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने अपने परिवार को पालने की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। क्योंकि इन संस्थानों के द्वारा इनको लॉक डाउन का बहाना लेकर वेतन नहीं दिया जा रहा है। जब यह शिक्षक वेतन की मांग करते हैं तो संस्थान अध्यक्ष एवं प्रबंध परिवार इनको निकालने की धमकी दे देता है ।
लाचार शिक्षक और कर्मचारी विवश होकर कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं । भुखमरी के कगार पर आने के लिए तैयार हैं।
ऐसी स्थिति में शासन एवं प्रशासन से मांग की जाती है उच्च शिक्षा संस्थानों ने विद्यार्थियों से एडमिशन के समय पूरे वर्ष की फीस ले ली है तो शिक्षकों एवं कर्मचारियों को उनका वेतन यह जानने के बाद भी कि शिक्षक एवं कर्मचारियों का परिवार प्रतिकूल परिस्थिति से गुजर रहा है फिर भी वेतन नहीं दिया जा रहा है।
शासन प्रशासन को चाहिए कि वह यूजीसी/एनसीटीई के नियमानुसार उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा शिक्षकों व कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन संबंधी समस्त अभिलेख का ऑडिट कराएं तथा दोषियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करें। क्योंकि उनके द्वारा लॉकडाउन में विकट परिस्थिति से गुजर रहे शिक्षक एवं कर्मचारियों के परिवारों का उत्पीड़न किया जा रहा है ।
आशा है आप इस पत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए जांच कराएंगे और दोषियों के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे ।
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