window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); जनमानस को स्वच्छता, स्वच्छ परिवेश और मासिक धर्म स्वच्छता का सही ज्ञान होना ही साक्षरता की पहचान -पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज | T-Bharat
September 25, 2024

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जनमानस को स्वच्छता, स्वच्छ परिवेश और मासिक धर्म स्वच्छता का सही ज्ञान होना ही साक्षरता की पहचान -पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

कोरोना से कोडिंग की यात्रा - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

कोरोना से कोडिंग की यात्रा - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

जनमानस को स्वच्छता, स्वच्छ परिवेश और मासिक धर्म स्वच्छता का सही ज्ञान होना ही साक्षरता की पहचान -पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
जनमानस को स्वच्छता, स्वच्छ परिवेश और मासिक धर्म स्वच्छता का सही ज्ञान होना ही साक्षरता की पहचान -पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

ऋषिकेश,(Amit Kumar): विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि साक्षर होना समाज के हर वर्ग, हर व्यक्ति चाहे वह महिला हो या पुरूष सभी के लिये आवश्यक है। साक्षरता से तात्पर्य केवल अक्षर ज्ञान तक ही सीमित नहीं हो बल्कि साक्षर होने का मतलब हम अपने और अपने परिवेश के बारे में भी जागरूक हो सकें। अक्षर ज्ञान के साथ प्रकृति, पर्यावरण, जल और जंगलों के संरक्षण पर भी शिक्षण और चितंन करना होगा और इसे प्रााथमिक स्तर से ही पाठयक्रम में शामिल किया जाना चाहिये। साक्षरता से हमारा तात्पर्य जनमानस को स्वच्छता, स्वच्छ परिवेश, जल राशियों की स्वच्छता, अपने कचरे का सही निस्तारण मासिक धर्म स्वच्छता एवं प्रबंधन एवं कुपोषण समस्या एवं निवारण आदि का सही ज्ञान होना ही वास्तविक रूप से साक्षरता की पहचान है।
पूज्य स्वामी जी ने बताया कि साक्षरता का अर्थ अक्षर ज्ञान से युक्त था परन्तु बढ़ती जनसंख्या के कारण समाज और परिवेश में काफी बदलाव आये हैं इसलिये साक्षरता के मापदंड में भी परिवर्तन आवश्यक है। वास्तव में व्यक्तिगत स्तर पर साक्षरता को वैयक्तिक साक्षरता एवं सामूहिक स्तर पर सामाजिक साक्षरता कहते हैं। साक्षरता अर्थात पढ़ा-लिखा या विद्वान व्यक्तित्व। उन्होने कहा कि साक्षरता से जनमानस में नवीन चेतना का संचार होता है। व्यक्ति केवल अपने बारे में नहीं बल्कि समाज के बारे में, अपने आस-पास, प्रकृति एवं पर्यावरण के बारे में भी सोचने लगता है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बच्चों में चेतना एवं जागृति लाने के लिये परमार्थ निकेतन द्वारा शिक्षा के साथ जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने के लिये कई कार्य किये जा रहे हैं यथा वाटर स्कूल प्रोजेक्ट के माध्यम से स्वयं की स्वच्छता, अपने परिवेश के आस-पास की स्वच्छता, मासिक धर्म स्वच्छता एवं प्रबंधन, जल का संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। कोविड-19 के कारण पूरे देश में स्कूल, काॅलेज बंद हैं तथा सामूहिक गतिविधियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन भी नहीं किया जा सकता इसलिये परमार्थ निकेतन द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षकों, विद्यार्थियों, आशा वर्कस सामाजिक संगठनों के साथ सम्पर्क कर ऑनलाइन प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। जिससे जनमानस के समय का सही उपयोग होगा और जीवन में नयी चीजें सीखने का अवसर भी उन्हें प्राप्त हो सकेगा।
परमार्थ निकेतन द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिये महिलाओं, पुरूषों और बच्चों को एक दिवसीय और तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण में महिलाओं और पुरूषों दोनों को दिया जाना चाहिये क्योंकि प्रकृति ने महिला एवं पुरुष का निर्माण परस्पर पूरक के रूप में किया है। स्त्री एवं पुरुष के बीच का शाश्वत, मूल और प्राकृतिक संबंध व समानता का होता है। दोनों में से न कोई गौण और न कोई प्रधान है। किंतु विडंबना है कि समाज में स्त्री और पुरुष के मध्य असमानता की एक बड़ी खाई है जिसे भरना जरूरी है। महिलाओं को भी साक्षर करना, समाज की मुख्य धारा में लाना उन्हें भी ‘साक्षर’ करना जरूरी है। उनका वास्तविक उत्थान एवं असली समानता उनकी साक्षरता में निहित है।

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