Haridwar,(Amit Kumar):पतंजलि विश्वविद्यालय में चल रहे तकनीकी एवं शब्दावलीे आयोग द्वारा प्रायोजित वेबिनार के चौथे दिन योग एवं वैदिक संस्कृति के विद्वानों का उद्बोधन प्राप्त हुआ। चौथे दिवस के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष प्रो0 अवनीश कुमार जी द्वारा तथा सह-अध्यक्षता पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ- प्रवीण पुनिया जी द्वारा की गई। कार्यक्रम संयोजक प्रो0 वी- के- कटियार ने विद्वानों का परिचय एवं प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए आयोजन का प्रारम्भ किया। तकनीकी सत्र में प्रथम सम्बोधन श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो0 शिव शंकर मिश्रा द्वारा दिया गया जिसमें उन्होंने विभूति पाद के कुछ सूत्रों पर प्रकाश डाला तथा योग दर्शन में वर्णित विभिन्न प्रकार के संयम व उससे प्राप्त होने वाली सिद्धियों की चर्चा की। जम्मू विश्वविद्यालय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो0 केदारनाथ शर्मा ने इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए विभूति पाद में वर्णित ज्ञान के आवरण को नाश करने के उपाय, अष्टसिद्धि एवं विवेक ज्ञान आदि सम्बन्धित पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया। तृतीय तकनीकी सत्र को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग परिसर के प्रो0 एवं संस्कृत के विद्वान डॉ- विजयपाल शास्त्री ने अपने उद्बोधन में क्रिया योग एवं राग, द्वेष आदि पंचक्लेश जो मनोरोगों के मूल कारण हैं, की चर्चा की। चौथे सत्र को स्वयं आयोग के अध्यक्ष प्रो0 अवनीश ने सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन पर विस्तार से प्रकाश डाला। संस्कृत भाषा की महत्ता को बताते हुए उन्होंने प्रतिभागियों से संस्कृत भाषा को सीखने का भी अनुरोध किया। सत्र का संचालन सह-संयोजक डॉ- रुद्र एवं डॉ- विपिन ने किया जिसमें आयोजन समिति के सभी सदस्य, आचार्यगण एवं शोधछात्रें ने सक्रिय सहभागिता की। अन्य संस्थानों के भी सैकड़ों जिज्ञासुओं ने कार्यक्रम से फेसबुक आदि माध्यमों से ऑनलाईन जुड़कर अपना ज्ञानवर्धन किया।
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