window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया पूज्य आचार्य जी का जन्मदिवस | T-Bharat
September 25, 2024

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जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया पूज्य आचार्य जी का जन्मदिवस

जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया पूज्य आचार्य जी का जन्मदिवस

जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया पूज्य आचार्य जी का जन्मदिवस

जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया पूज्य आचार्य जी का जन्मदिवस
जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया पूज्य आचार्य जी का जन्मदिवस

हरिद्वार,(Amit kumar): वनौषधि पण्डित उपाधि से सम्मानित आचार्यप्रवर श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मोत्सव कार्यक्रम ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में वैदिक गुरुकुलम् के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ यजुर्वेद एवं सामवेद परायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ हुआ। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 4 अगस्त को पूरे देश के 600 जिलों में, 5000 से अधिक तहसीलों व 1 लाख से अधिक गाँवों में श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मदिवस ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिन पतंजलि के विविध संगठनों व इकाइयों के माध्यम से देश के लगभग प्रत्येक जिले में 5,000 से 10,000 औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण कर जड़ी-बूटी सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु पतंजलि द्वारा पूरे देश में 1 करोड़ औषधीय पौधे विशेष रूप से गिलोय रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज, पूज्य आचार्य जी महाराज तथा पूज्य गुरुदेव ने पौधों का रोपण किया।

इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने श्रद्धेय आचार्य जी को जन्मदिवस की शुभकमनाएँ प्रेषित करते हुए कहा कि श्रद्धेय आचार्य जी का तेजस्वी जीवन हम सबकी प्रेरणा है। उनका जन्मदिवस पूर्ण पुरुषार्थ व परमार्थ का प्रतीक है। ईश्वर उनको सर्वविध सुरक्षित रखें और ऐसे ही उनका मंगल आशीष हम सबको मिलता रहे। उन्होंने कहा कि हम जो शास्त्रों में पढ़ते हैं उसकी जीवंत अभिव्यक्ति का संकल्प आचार्यश्री हैं। आध्यात्मिक भाव सम्बन्ध के साथ-साथ व्यवहारिक धरातल पर जब मैं आचार्यश्री को देखता हूँ तो उनमें सब वेद, दर्शन, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रन्थ, श्रुति, स्मृतियों, रामायण, महाभारत, व गीता आदि शास्त्रों में धर्म, अध्यात्म, संस्कृति व साधना के सूत्र, मन्त्र, श्लोक व ऋचाओं का व्यवहारिक जीवन्त मूर्त्त रूप घनीभूत होकर अभिव्यक्त होता हुआ दिखाई देता है। स्वामी जी ने कहा कि अभी तक लगभग 70 प्रामाणिक ग्रन्थों का प्रकाशन श्रद्धेय आचार्य जी के दिशानिर्देशन में किया जा चुका है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जल्द ही आचार्य श्री का जीवन चरित्र लोकार्पित किया जाएगा।

इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि जन्मदिन तो मात्र बहाना है, हमें तो इस दिन अपने सेवा कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करना होता है। आचार्य जी ने कहा कि श्रावण मास में पैदा होने का कोई तो प्रयोजन होगा क्योंकि जड़ी-बूटियाँ भी तो श्रावण मास में ही लगाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि हमने जड़ी-बूटी रोपण को एक संकल्प के रूप में लिया है। हमारे निमित्त से यदि जड़ी-बूटियों का संरक्षण हो रहा है तो यह हमारे लिए गौरव की बात है। आचार्य जी ने कहा कि कोरोना काल में हमारे संगठन के मुख्य केन्द्रीय प्रभारीगण के दिशानिर्देशन में उत्तराखण्ड में ही करीब 1 लाख गिलोय रोपित किया जा चुका है, इसके लिए उन्होंने सभी संगठनों व पतंजलि योग समितियों के सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। पूज्य आचार्यश्री ने कहा कि गिलोय कोरोना संक्रमण से बचाव में अतिलाभकारी है तथा कोरोनिल कोरोना के प्रिवेंशन तथा उसके मेनेजमेंट में महत्वपूर्ण औषधि है।

इस अवसर पर आचार्यश्री द्वारा संरक्षित प्राचीन पाण्डुलिपियों पर आधारित 10 ग्रन्थों का विमोचन किया गया जिनमें 4 ग्रन्थ अंग्रेजी भाषा में अजीर्णामृतमंजरी, लघु निघण्टु, अष्टांग निघण्टु तथा सौश्रुत निघण्टु हैं। इनके अतिरिक्त 6 ग्रन्थ हिन्दी भाषा में यथा- कुमारामृतम्, हंसराज निदानम्, बलि प्रथा- पूजा या हिंसा, सन्धित प्रकाश तथा वेदों की शिक्षाएँ का भी विमोचन किया गया। पूज्य आचार्य जी ने कहा कि इनमें से अधिकांश ग्रन्थ अप्रकाशित थे जिन्हें पतंजलि के माध्यम से पहली बार प्रकाशित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सिद्धसार निघण्टु की पाण्डुलिपियाँ जर्मनी से लाई गई हैं, सौश्रुत निघण्टु में प्राचीन औषधीय गुणों का वर्णन है, कुमारमृतम् ग्रन्थ बाल रोगों से संबंधित ग्रन्थ है तो वहीं संधित प्रकाश में 17 छन्द हैं जिनमें अचार बनाने की सुंदर विधियाँ हैं। ऋषि दयानंद की प्रेरणा से वेदों की शिक्षाएँ ग्रन्थ प्रकाशित किया गया है। आचार्यश्री ने इन ग्रन्थों के प्रकाशन में आचार्य विजयपाल प्रचेता, कविराज डॉ. मनोहर लाल आर्य, डॉ. सविता व उनकी टीम, डॉ. राजेश मिश्रा, आचार्य महेशानन्द आदि के पुरुषार्थ की सराहना की।

कार्यक्रम में पूज्य गुरुदेव आचार्य प्रद्युम्न जी महाराज, परमार्थ निकेतन अध्यक्ष महंत चिदानंद मुनि जी महाराज तथा माता गुलाब देवी ने पूज्य आचार्य जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ दी। श्री पद्मसेन आर्य, डॉ. यशदेव शास्त्री, बहन ऋतम्भरा, श्री रामभरत, साध्वी देवप्रिया, श्री ललित मोहन, डॉ. महावीर जी, बहन अंशुल, बहन पारुल, श्रीमती प्रवीण पुनिया, श्री अजय आर्य, डॉ. जयदीप आर्य, भाई राकेश, स्वामी परमार्थ देव, स्वामी ईशदेव, स्वामी आर्षदेव, स्वामी हरिदेव, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देवमयि, साध्वी देवप्रिति आदि ने पूज्य आचार्य जी महाराज को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।

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