ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आध्यात्मिक गुरू दादा जेपी वासवानी जी के जन्मदिवस पर उनके भक्तों को शुभकामानायें देते हुये कहा कि पूरी दुनिया को दादा वासवानी जी ने प्रेम, करूणा और शान्ति के साथ जीने का संदेश दिया। ’काॅम ऑफ मोमेंट’ और दूसरों को क्षमा कर जीवन में आगे बढ़ने का मूल मंत्र दिया।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि दादा वासवानी जी का जीवन चन्दन की तरह सुगंधित था जिसकी सुगंन्ध से देश और दुनिया के लाखों लोगों को मार्गदर्शन प्राप्त हुआ और उनके उपदेशों से लाखों लोगों ने अपने जीवन को बदला और उनका प्रत्येक शब्द जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करने वाला है। आज भौतिक रूप से वें हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके विचार, शिक्षायें, आदर्श और उपदेश वर्तमान और आगे आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि दादा वासवानी जी ने मानवता, पशुओं की सुरक्षा, सेवा एवं शाकाहार जीवन पद्धति अपनाने के लिये पूरे विश्व में अलख जगाया है। उन्होंने दुनिया को प्रेम, अहिंसा एवं शान्ति का संदेश दिया। वे एक आध्यात्मिक गुरू ही नहीं बल्कि एक सार्वभौमिक, गैर साम्प्रदायिक, विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न, दया, प्रेम और अहिंसा के मसीहा थे। करूणा, की प्रतिमूर्ति थे दादा वासवानी जी। करूणा से ओतप्रोत उनका हृदय हमेशा से ही पीड़ितों के लिये और पशुओं के लिये धड़कता था। वे मूक जीवों की आवाज बनें और उनके अधिकारों की रक्षा के लिये जनमानस को प्रेरित करते रहें।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि सुखी और आनन्द से युक्त जीवन जीने का एक ही मार्ग है, सत्य, अहिंसा, प्रेम और क्षमा को आत्मसात कर जीना। अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में इन आध्यात्मिक और नैतिक सिद्धांतों का प्रयोग करे तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती हैं। गांधी जी ने तो पूरी दुनिया कोे दिखा दिया कि अहिंसा के मार्ग पर चलते हुये आप सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। यह मार्ग कठिन तो है पर धैर्य के साथ चलने पर अनेक उपलब्धियां हासिल की जा सकती है; नए आदर्श स्थापित किये जा सकते है और आशानुरूप परिणाम भी प्राप्त किये जा सकते है। दादा वासवानी जी ने अपने उपदेशों से भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। आज वे हमारे बीच नहीं हैं किंतु उनके विचारों की प्रेरणा और उनके उपदेशों का प्रकाश हर युग के लिये प्रासंगिक हैं। ऐसी दिव्य विभूति को नमन, उनकी सेवाओं को नमन, उनके विचारों को आत्मसात कर जीवन जीना ही हम सभी की ओर से उनके लिये सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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