ऋषिकेश,(Amit kumar): परमार्थ निकेतन के संस्थापक पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज के 55 वें महानिर्वाण दिवस के अवसर पर आयोजित श्री रामचरित मानस का आज समापन हुआ। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने वेद मंत्रों से पूज्य गुरू परम्परा का पूजन किया।
सभी साधकों, भक्तों, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और आचार्यों ने सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुये वेद मंत्रों से पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रतिमा का पूजन वंदन किया।
पूज्य स्वामी शुकदेवानन्द जी महाराज ने परमार्थ निकेेतन आश्रम की स्थापना सन 1942व 43 में की थी तब से परमार्थ निकेतन आश्रम मानव सेवा हेतु समर्पित है। यहां पर संत सेवा, गौ सेवा, संस्कृत, संस्कृति, संस्कार और अनेक आध्यात्मिक गतिविधियां निरंतर चल रही है। वर्तमान समय में आश्रम में प्रतिदिन प्रार्थना, पूजा, हवन, गंगा आरती, योग, ध्यान, सत्संग, व्याख्यान, कीर्तन और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियां प्रतिदिन होती हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन मार्गदर्शन में अनेक सेवा कार्य सम्पन्न हो रहे हैं तथा भारत सहित विश्व के अनेक देशों में परमार्थ निकेतन की ख्याति फैली और यहां पर अनेक वैश्विक कार्यक्रम, सम्मेलन, शिखरवार्ताओं का आयोजन किया जाने लगा। आज के समय में यह आश्रम अपनी आध्यात्मिक, सामाजिक और प्राकृतिक गतिविधियों के कारण वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका है।
यहां पर अति प्राचीन धर्मग्रंथों से युक्त पुस्तकालय है जिसमें वेद, उपनिषद्, धर्म, अध्यात्म, दर्शन, विज्ञान और अनेक प्राचीन और आधुनिक शोधों पर आधारित ग्रंथ है। परमार्थ निकेतन में सर्वसुविधा युक्त छात्रावास है जहां पर गरीब और अनाथ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन, चिकित्सा, संगीत और वेद अध्ययन कराया जाता है। साथ ही योग, संगीत, कम्प्यूटर और अंग्रेजी की भी शिक्षा दी जाती है।
पूज्य स्वामी शुकदेवानन्द जी महाराज ने वर्षो पहले परमार्थ सेवा की नींव रखी वह आज भी अनवरत रूप से जारी है ऐसे पूज्य संत को नमन।
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