ऋषिकेश,(Amit kumar): परमार्थ निकेतन में, बीती रात कानपुर जनपद में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुये प्राणों का बलिदान करने वाले 8 पुलिसकर्मियों के लिये विशेष प्रार्थना और दो मिनट मौन रखकर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। साथ ही इस घटना में घायल हुये पुलिसकर्मी भाईयों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु विशेष मंत्रों से हवन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुये वीरगति को प्राप्त हुये पुलिसकर्मी देवेंद्र कुमार मिश्र,सीओ बिल्हौर, महेश यादव,एसओ शिवराजपुर, अनूप कुमार,चैकी इंचार्ज मंधना, नेबूलाल, सब इंस्पेक्टर शिवराजपुर, सुल्तान सिंह कांस्टेबल थाना चैबेपुर, राहुल ,कांस्टेबल बिठूर, जितेंद्र,कांस्टेबल बिठूर और बबलू कांस्टेबल बिठूर की आत्मा को ईश्वर शान्ति प्रदान करे तथा उनके परिवारों को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति दें और इस वेदना से उबरने का संबल प्रदान करें।
स्वामी जी ने कहा कि वीरगति को प्राप्त हुये हमारे जाबाज़ पुलिसकर्मी जिनका कोई कसूर नहीं था बल्कि वह तो कसूरवार को पकड़ने निकले थे उन सभी के लिये परमार्थ निकेतन में विशेष प्रार्थना के साथ भावाभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। स्वामी जी ने कहा कि हमारे इन जाबांज़ पुलिसकर्मियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी हृद्यविदारक घटनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिये ताकि भविष्य में हमें इस प्रकार की दुखद घटनाओं का सामना न करना पड़े।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे पुलिसकर्मी भाईयों ने अपने जान की परवाह न करते हुये दूसरों की रक्षा के लिये अपने आप को न्यौछावर कर दिया है। जनपद कानपुर में घटी यह घटना अत्यंत दूर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी घटनाओं से अनेक परिवार उजड़ जाते हैं, आज की इस घटना से आठ बसे-बसाये परिवार उज़ड़ गये। इस प्रकार की घटनाओं को देखकर लगता है, वर्तमान समय में जनमानस में संवेदनशीलता की कमी होती जा रही है। अहिंसा के पथ पर चलने वाले इस देश में कुछ लोग हिंसा करने पर उतर जाते हैं और यह भी नहीं सोचते कि इन सब के भी परिवार भी अपने ही परिवार की तरह हैं उनके भी बच्चे है। मुझे लगता है कि कोरोना काल में जनमानस के हृदय में करूणा जन्म लें और लोगों की वृत्तियां बदलें, लोगों की सोच बदले। यह समय कोरोना से बहुत कुछ सीखने का समय है; कोरोना से करूणा की ओर बढ़ने का समय है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत जैसे शान्ति का संदेश देने वाले देश में इस तरह कि उग्र प्रतिक्रिया बरदाश्त नहीं की जानी चाहिये। ऐसी घटनाओं से हमें सबक लेना चाहिये तथा इसे हमारे प्रबंधन और आत्मनिरीक्षण के एक अवसर के तौर पर भी लेना चाहिये। मुझे तो लगता है कि ऐसी घटनाओं को कोई भी उग्र प्रतिक्रिया से नहीं बल्कि स्थायी समाधानों और इसके लिये नीतिगत सुधारों की आवश्यकता होती है ताकि दोषियों को शीघ्र दण्ड मिले जिससे भविष्य में किसी का भी ऐसा दुःसाहस करने की वह भी सुरक्षाकर्मियों के प्रति हिम्मत न हो सके।
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