प्रेम से अच्छा कुछ नही प्रेम ही सुख का आधार गैरो को अपना बना ले बहती अपनत्व की धार जहां जहां प्रेम उपजता ईर्ष्या-द्वेष कभी न जन्मता शांति का यह जन्मदाता आनन्द का है इससे नाता ईश्वर का प्रतिबिंब यही मित्रता की नींव भी यही प्रेम समानता का सूचक है ईश्वर मिलन का ध्योतक है। —-श्रीगोपाल नारसन
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