हरिद्वार,(Amit kumar): झांसी का नाम सुनते ही सहज भाव से वीरांगना मणिकर्णिका जो बाद मे अपने त्याग एवं बलिदान से झांसी की रानी के नाम से विख्यात हुई की 18 जून को पुण्य तिथि पर देश की नारी जाति के लिए गर्व एवं सम्मान का दिन है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, हरिद्वार द्वारा झांसी की रानी के बलिदान को नमन करते हुए उनकी पुण्य तिथि 18 जून को वीरता दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर क्षत्रिय बन्धुओं द्वारा सांय राजपूत धर्मशाला परिसर मे श्रदांजलि एवं प्रातः वृक्षारोपण करते पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया गया। शिक्षाविद्व लोकेन्द्रपाल सिंह ने नारी के महत्व को सामाजिक दृष्टिकोण से मार्गदर्शक के रूप मे स्वीकार करते हुए कहा कि नारी यदि त्याग और बलिदान पर आ जाए तो वह दो कुलों का उद्वार करती है अन्यथा उनका विनाश भी कर सकती है। महासभा के अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह ने वीरगंना के व्यक्तित्व पर बोलते हुए कहाॅ कि झांसी की रानी के बाद किसी भी काल मे उनके समान वीरांगना होना मुश्किल है। महासचिव डाॅ0 शिव कुमार चैहान ने अपने श्रद्वा-सुमन अर्पित करते हुए कहाॅ कि भारतीय इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि महिलाओं ने जब भी देश का नेतृत्व किया है। अपनी वीरता एवं बलिदान की एक नई इबारत लिखी है। वे समाज का दुर्लभ व्यक्तित्व थी। जो असंख्य वर्षो बाद इस धरती पर अवतरित होता है। शिक्षा शास्त्री योगेन्द्र पाल सिंह ने हिन्दी काव्य जगत की अभूतपूर्व शख्सियत सुभद्रा कुमार चैहान की भाव एवं समर्पण से भरी वह पक्तियां- चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी। बुंदेलो हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी। ख्रूब लडी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। का उल्लेख करते हुए वीरांगना को अपनी श्रद्वांजलि अर्पित की। इस अवसर पर वीरांगना की पुण्य तिथि पर प्रातः 9ः00 बजें वृक्षारोपण करके पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी प्रो0 भारत भूषण, धनश्याम सिंह, लोकेन्द्रपाल सिंह, यशपाल सिंह राणा, डाॅ0 शिव कुमार चैहान, नरेन्द्र सिंह, मनवीर सिंह, मदनपाल सिंह, महेन्द्र सिंह नेगी, तनुज शेखावत, अजय चैहान, दुष्यंत राणा आदि उपस्थित रहे।
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