window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'UA-96526631-1'); राज्य में विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को भरे सरकारः किशोर उपाध्याय | T-Bharat
September 24, 2024

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राज्य में विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को भरे सरकारः किशोर उपाध्याय

हरिद्वार,(Amit kumar):कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने सरकार से अविलम्ब राज्य में खाली पड़े पदों को भरने की माँग की है और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि“2016-17 से प्रदेश में पदों की विज्ञप्ति न निकाले जाने के बारे में आपको लिखे पत्र के बाद प्रदेश के बेरोजगारों द्वारा मुझसे अपेक्षा की गयी है कि मैं उनकी बात को भी आपके सामने रखूँ, बल्कि इसको इस तरह भी कहा जा सकता है कि इस सम्बन्ध में मेरे पास उनकी समस्या को उठाने हेतु संदेशों की बाढ़ सी आ गयी है। किशोर ने कहा कि पलायन और रोजगार का दंश सबने झेला है। अधिकतर उत्तराखंडी गीत भी हमारे और आपके बचपन के खुदेड़ गीत रहे हैं।’पहाड़ का पानी और जवानी’ के बारे में आप सुविज्ञ हैं। उत्तराखंड के उजड़े घर और तिबारियां इस दुर्दशा की साक्षात गवाह हैं। राज्य निर्माण के बाद सरकारी नौकरियों में प्रदेश छोटा होने के कारण कमी आयी है। लोटे और भड़ू’ जैसी स्थिति है। हमसे दो बार त्रुटि हुई, जब भारत आजाद हुआ, संविधान सभा की चर्चा में अरण्यजनों और गिरिजनों को भी सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर माना था और उन्हें भी आरक्षण देने पर विचार किया था, उस समय हम चूक गये। दूसरी चूक मण्डल आयोग से हुई, यदि वह हरिद्वार से ऊपर गया होता तो सारा उत्तराखंड ओबीसी आरक्षण में आ जाता, हम तब भी चूक गये। राज्य आन्दोलन की आग भी नौकरी के मसले ने चिंगारी से दावानल में परिवर्तित की, यदि मण्डल आयोग लागू नहीं होता तो शायद आज भी हम उत्तरप्रदेश के ही हिस्से होते। उन्होंने कहा कि आप और हम, और बहुत से लोग कहाँ होते? विचारणीय है? नारी शक्ति के सिर का बोझ कम हो, उसके चेहरे पर मुस्कान हो और उत्तराखंड की जवानी का आदर हो, वह खाली हाथ न बैठे, इस भावना से मैंने भी राज्य आन्दोलन में अपनी पार्टी की असहमति के बावजूद गिलहरी जैसी भूमिका निभायी थी। इस समय असाधारण परिस्थितियां हैं। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नौकरियों की गुंजाईश के बावजूद 2017 से राज्य में खघली पदों को नहीं भरा जा रहा। प्रदेश के बेरोजगारों की दयनीय स्थिति को देखते हुये आपसे मेरी करबद्ध विनती है कि सरकारी क्षेत्र में जितनी भी रिक्तियाँ हैं, युद्धस्तर पर उनको भरने का कष्ट करें।”

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