पांडुकेश्वर/ श्री बदरीनाथ धाम: आदि गुरू शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी सहित रावल जी, श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी एवं गाडूघड़ा( तेलकलश ) योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से आज दिन में श्री बदरीनाथ धाम पहुंचे। रास्ते में इस बार लाम बगड़ एवं हनुमान चट्टी में देव डोलियों ने विश्राम नहीं किया नहीं इन स्थानों पर भंडारे आयोजित हुए। बदरीनाथ पहुंच कर भगवान बदरीविशाल के जन्म स्थान लीला ढूंगी में रावल द्वारा पूजा-अर्चना की गयी।
इस बार श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा बदरीनाथ धाम को फूलों से सजाया गया है।
पांडुकेश्वर स्थित प्राचीन योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में प्रात: काल पूजा-अर्चना के पश्चात सभी देवडोलियों ने रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी एवं डिमरी पंचायत प्रतिनिधि, सीमित संख्या में हकूकधारियों के साथ श्री बदरीनाथ धाम की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान सोशियल डिस्टेसिंग का ध्यान रखा गया।मास्क पहने गये।
कम संख्या में बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति दिये जाने के कारण देवस्थानम बोर्ड तथा सीमित संख्या में हकूकधारी बदरीनाथ धाम पहुंचे। कपाट खुलने की प्रक्रिया से जुड़े कम से कम लोगों को श्री बदरीनाथ धाम जाने की अनुमति दी गयी है।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि कल 15 मई प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।
कल प्रात: 3 बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। कुबेर जी, श्री उद्धव जी एवं गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर परिसर में रखा जायेगा।
तत्पश्चात रावल, धर्माधिकारी, हक हकूकधारियों की उपस्थिति में कपाट खोलने हेतु प्रक्रिया शुरू होगी ठीक साढ़े चार बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुल जायेंगे तथा लक्ष्मी माता को परिसर स्थित मंदिर में विराजमान कर दिया जायेगा।
इस दौरान बहुत कम लोग मौजूद रहेंगे। ताकि लाक डाउन के मद्देनजर शोसियल डिस्टेंसिंग सहित सरकारी एडवाइजरी का पालन हो सके। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के चार धामों के कपाट खुले है जबकि कोरोना महामारी संकट टलने के बाद शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होने की उम्मीद है।
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